November vrat : इस दिन व्रत करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, घर में सुख शांति बनी रहती है.
Tulsi vivah : तुलसी के पौधे को देवी का स्थान दिया गया है हिन्दू धर्म शास्त्रों में. इसका पौधा हिन्दू घरों में जरूर होता है आंगन में. सुबह में जल देने के साथ दिन की शुरूआत करते हैं और शाम को इसके सामने दिया भी जलाते हैं. इस पौधे में लोगों की अपार श्रद्धा है. कार्तिक के महीने में तो सूर्योदय के पहले जल देने की भी परंपरा है और तुलसी विवाह भी कराया जाता देव उठनी एकादशी के दिन. इस दिन देवी लक्ष्मी, तुलसी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.
तुलसी विवाह के दिन व्रत का महत्व
- इस दिन व्रत करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. घर में सुख शांति बनी रहती है. इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन पड़ रही है. कार्तिक द्वादशी तिथि 5 नवंबर 2022 को शाम 6:08 से प्रारंभ होकर 26 नवंबर 2022 शाम 5:06 पर समाप्त होगी
कैसे करें तुलसी विवाह
- तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2022 Kab hai) के दिन शालीग्रम (Shaligram) और तुलसी का विवाह शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah Shubh Muhurat) में किया जाता है. इस दिन घर के आंगन, छत या पूजा स्थल पर मंडप तैयार करें.
- शाम के समय शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और मां तुलसी के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं. इसके बाद विधि-विधान से तुलसी विवाह कराएं. फेरे लगवाएं. घी के 11 दीपक जलाएं. इसके बाद भगवान को फल अर्पित करें.
- वहीं, पूजा के अंत में भगवान विष्णु और मां तुलसी की आरती करें. इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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