Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी पर इस तरह से की जाती है पूजा, मान्यता है दूर होते हैं सभी संकट!

वैशाख माह (Vaishakh) चल रहा है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इसके अलावा इसे वरद चतुर्थी भी कहा जाता है.

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Vinayak Chaturthi 2022: मान्यताओं के मुताबिक चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है.

Vinayak Chaturthi 2022: पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह में दो चतुर्थी पड़ती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहा जाता है. अभी वैशाख माह (Vaishakh) चल रहा है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इसके अलावा इसे वरद चतुर्थी भी कहा जाता है. इस महीने विनायक चतुर्थी 4 मई 2022 को पड़ रही है. मान्यताओं के मुताबिक चतुर्थी तिथि भगवान गणेश (Lord Ganesha) को समर्पित है. मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से सभी संकट दूर हो जाते हैं. माना जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. मान्यतानुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा में कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाता है. आइए जानते हैं मान्यतानुसार भगवान गणेश की पूजा के लिए मंत्र और विनायक चतुर्थी पूजा के नियम.

विनायक चतुर्थी पूजा के नियम | Vinayak Chaturathi Puja Rules 

- धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश को मोदक बेहद प्रिय है. ऐसे में विनायक चतुर्थी की पूजा में मोदक या लड्डू का भोग लगाना शुभ माना गया है. इसके अलावा इस दिन भगवान गणेश की पूजा में लाल फूल, दूर्वा, अक्षत, चंदन, धूप और लड्डू का इस्तेमाल करना शुभ होता है. इसके अलावा जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं, उनके लिए व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है. 

- विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा जरूर चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश को दूर्वा अत्यंत प्रिय है. इसके अलावा मान्यता है कि विनायक चतुर्थी का व्रत रखने वालों को अगले दिन पारण करना शुभ है. 

- शास्त्रों के मुताबिक भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले दीपक का स्थान बार-बार नहीं बदला जाता है. गणेशजी के निमित्त जलाए जाने वाले दीपक को भगवान गणेश के सामने रखा जाता है. दरअसल ऐसा करना शुभ माना गया है. 

- मान्यतानुसार विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना के बाद पूजा स्थान को अकेला नहीं छोड़ा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन पूजा स्थान पर किसी ना किसी को जरूर रहना चाहिए. भगवान गणेश की पूजा और व्रत में मन को बिल्कुल पवित्र रखा जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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