Vikat Sankashti Chaturthi 2023 date : देवों के प्रथम देव कहे जाने वाले भगवान गणपति की पूजा के लिए वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को पूजा पाठ और व्रत किया जाता है. इसे विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 अप्रैल यानी रविवार को रखा जा रहा है. आपको बता दें कि गजानन भगवान की पूजा और व्रत चंद्रमा को अर्ध्य दिए बिना पूरे नहीं माने जाते हैं. इस दिन सुबह के वक्त गणपति भगवान की विधिवित पूजा होती है औऱ शाम के वक्त चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत का पारण किया जाता है.
चतुर्थी तिथि को लग रही है भद्रा (Bhadra is being observed on Chaturthi Tithi)
इस बार 9 अप्रैल यानी रविवार के दिन चतुर्थी तिथि के दिन सुबह छह बजकर तीन मिनिट से ही भद्रा का काल लग रहा है और ये भद्रा काल 9 बजकर 25 मिनट तक चलेगा. इस पूरे भद्रा काल में आठ बजकर दो मिनट तक भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी. इसके पश्चात नौ बजकर 35 मिनट तक भद्रा स्वर्गलोक में रहेगी.
संकष्टी चतुर्थी को गणपति पूजा का शुभ मुहुर्त (Auspicious time for Ganpati Puja on Sankashti Chaturth)
विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रहा है जो सुबह 10 बजकर तक चलेगा. इस शुभ मुहुर्त में भगवान गणेश की पूजे के लिए शुभ उन्नति मुहूर्त बन रहा है। वहीं अगर अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त की बात करें तो ये सर्वोत्तम मुहुर्त सुबह 10 बजकर 48 बजे से दोपहर 12 बजकर 23 तक लग रहा है। ऐसे में उन्नति मुहुर्त और सर्वोत्तम दोनों ही योग में गणपति भगवान की पूजा की जा सकती है.
विकट चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय (Moonrise time on Vikat Chaturthi)
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रोदय के समय पर किया जाता है. इससे पहले उगते चंद्र को देखकर अर्ध्य दिया जाता है. इस बार चंद्रमा का उदय बहुत देर से हो रहा है. इस बार चंद्रोदय का समय है रात 10 बजकर 02 मिनट. यानी सभी व्रतियों को इस समय चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद व्रत का पारण करना होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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