Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति, जानें कब रखा जाएगा 29 या 30 को, ये है सही तिथि और शुभ मुहूर्त

Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति है. दरअसल इस बार वट सावित्री का व्रत 29 को रखना है या 30 को इसको लेकर भक्तों में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. ऐसे में जानते हैं कि व्रट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा.

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Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत सुहागन महिलाओं के लिए खास महत्व का माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना हेतु व्रत रखकर पवित्र वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इसके अलावा सावित्री और सत्यवान की भी पूजा की जाती है. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि (Jyeshtha Amavasya) को रखा जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) को लेकर असमंजस की स्थिति है. दरअसल इस बार वट सावित्री का व्रत 29 को रखना है या 30 को इसको लेकर भक्तों में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. इस बार वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) के लिए अमावस्या तिथि 29 मई से शुरू हो रही है और 30 मई को समाप्त हो रही है. ऐसे में लोग इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि आखिर वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat) कब रखा जाएगा. आइए जानते हैं कि इस बार वट सावित्री का व्रत कब रखा जाएगा 29 या 30 मई को. 


वट सावित्री व्रत की सही तिथि को जानने के लिए सबसे आसान तरीका उदया तिथि का पता लगाना है. पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 29 मई रविवार को दोपहर 2 बजजकर 54 मिनट से शुरू हो रही है. जबकि इस तिथि की सामाप्ति 30 मई, सोमवार को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर हो रही है. इसके बाद वट सावित्री व्रत के लिए उदया तिथि पर विचार किया जाएगा. 

अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर से शुरू हो रही है, यानि सूर्योदय के बाद अमावस्या पड़ रही है. जबकि 30 मई को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी. जो कि उस दिन शाम 4 बजकर 59 मिनट पर खत्म होगी. इस प्रकार उदया तिथि के मुताबिक ज्येष्ठ अमावस्या 30 मई को होगी और वट सावित्री व्रत 30 मई, सोमवरा को रखा जाएगा. 

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वट सावित्री व्रत मुहूर्त | Vat Savitri Vrat Muhurat 

पंचांग के मुताबिक 30 मई, सोमवार को वट सावित्री व्रत के दिन सुबह से ही सुकर्मा योग शुरू है, जो कि रात 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 12 मिनट से शुरू है, जो कि पूरे दिन रहेगा. ऐसे में वट सावित्री व्रत की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में सुबह 7 बजकर 12 मिनट के बाद शुरू करनी चाहिए. कहा जाता है कि इस योग में शुरू किए गए कार्य सफल होते हैं और व्रत का पूरा लाभ मिलता है. 

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वट सावित्री व्रत का महत्व | Vrat Savitri Vrat Significance

मान्यता है कि सवित्री के पति सत्यवान की अकाल मृत्यु हो गई, तब यमराज उनके प्राण लेकर जाने लगे. तभी सावित्री भी यमराज के पीछे जाने लगती हैं. यमराज उनको समझाते हैं कि उनके पति अल्पायु थे. उनका समय पूरा हो गया है. तब सावित्री अपने पत्नी धर्म के बारे में यमराज को बताती हैं और यह कहती हैं कि जहां उनके पति देव रहेंगे, वहां पत्नी भी जाएगी. कहा जाता है कि यमराज सावित्री के पत्नी धर्म से खुश होकर 3 वर देते हैं, जिसमें से एक सावित्री को 100 पुत्रों की माता होने का भी वर था. मान्यता है कि इस वरदान की वजह से यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े. यही कारण है वट सावित्री व्रत के दौरान सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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