Vat Purnima Vrat 2022 : इस दिन रखा जाएगा वट पूर्णिमा का व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Vat Purnima Vrat : वट पूर्णिमा व्रत ज्येष्ठ माह की वट सावित्री व्रत के 15 दिन बाद रखा जाता है. हालांकि, यह दोनों ही उपवास सुहाग के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए होता है.  

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Vat Purnima Vrat 2022 Date : सौभाग्य और सुहाग का व्रत वट पूर्णिमा इस बार 14 दिन मंगलवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान विष्णु और और देवी लक्ष्मी के साथ बरगद के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं. आपको बता दें कि वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ माह की वट सावित्री व्रत (Vat Purnima Vrat ) के 15 दिन बाद रखा जाता है. हालांकि, यह दोनों ही उपवास सुहाग के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. ज्येष्ठ माह की अमावस तिथि (amvas tithi) के दिन पड़ने वाला यह व्रत उत्तर भारत, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा आदि जगहों पर धूम धाम से सुहागिन स्त्रियां मनाती हैं, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा तिथि के दिन यह व्रत महिलाएं रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये दोनों ही व्रत का महत्व समान है. अंतर सिर्फ इनकी तिथियों में है बस. 

वट पूर्णिमा की तारीख और शुभ मुहूर्त | Vat Purnima Vrat date and shubh muhurat

वट पूर्णिमा व्रत 14 जून 2022 को रखा जाएगा. व्रत की प्रारंभ तिथि- 13 जून दिन सोमवार रात 9 बजकर 02 मिनट पर होगी जो अगले दिन यानी 14 जून को शाम 05 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं, पूजा करने का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 तक है. 

वट पूर्णिमा शुभ योग | Vat Purnima shubh yog

इस दिन सुबह से ही साध्य योग बन रहा है जो सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शुभ योग शुरू हो जाएगा. आपको बता दें कि ये दोनों योग मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से फल अच्छे प्राप्त होते हैं. 

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वट सावित्री व्रत के दौरान रखा जाता है इस बातों का ध्यान 


-वट सावित्री व्रत के दौरान व्रती महिलाओं को काले या सफेद रंग को कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इसके अलावा इस दिन महिलाओं को काली, सफेद या नीली रंग की चूाड़ियां नहीं पहननी चाहिए. कहा जाता है कि जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रहीं हैं, उन्हें इस व्रत की शुरुआत अपने मायके से ही करना चाहिए. दरअसल ऐसा करना शुभ माना जाता है. 

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-आमतौर पर वट सावित्री व्रत की पूजा के बाद सुहागिन महिलाएं अन्न का सेवन नहीं करती हैं. अगर अन्न का सेवन करना पड़े तो ऐसे में उन्हें सात्विक भोजन करना चाहिए. भोजन सामग्री में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत खंडित हो जाता है.  

-वट सावित्री व्रत के नियम के मुताबिक जो महिलाएं व्रत के दौरान पीरियड में हैं, उन्हें खुद पूजा ना करके किसी अन्य महिला से पूजा करवानी चाहिए. साथ ही पूजा स्थल से दूर बैठकर व्रत कथा सुननी चाहिए. इन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य माना गया है. 

-व्रत सावित्री व्रत में अगर घी का दीया जला रही हैं तो उसे अपनी दाईं ओर रखें. वहीं अगर पूजा में तेल का दीपक जला रहीं हैं तो उसे अपने बाईं ओर ही रखें. इसके अलावा पूजा के दौरान पूजन सामग्री को हमेशा अपने बाईं ओर रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


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