Vasudev Dwadashi 2023 : वासुदेव द्वादशी भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. यह पर्व देवशयनी एकादशी के एक दिन बाद मनाई जाती है. ऐसे में आज द्वादशी पर्व मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि यह व्रत उन लोगों के लिए बहुत फलदायक हो सकता है जो लोग संतान सुख से वंचित हैं. ये उपवास अगर पति-पत्नी दोनों रखते हैं तो ये ज्यादा फलदायी होगा. इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. तो चलिए आज इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जान लेते हैं.
वासुदेव द्वादशी शुभ मुहूर्त
- इस आषाढ़ मास द्वादशी 30 जून 2023 को 02 बजकर 42 मिनट से 1 जुलाई 2023 को 01 बजकर 17 मिनट तक रहेगी.
वासुदेव द्वादशी पूजा विधि
वासुदेव द्वादशी (Vasudev Dwadashi) के विषय में धार्मिक मान्यता है कि सबसे पहले मां देवकी ने भगवान श्री कृष्ण के लिए यह व्रत रखा था. इस व्रत के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण (Krishna Puja) की पूजा की जाती है. ऐसे में भगवान की पूजा के लिए भक्त सुबह सवेरे उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाते हैं.
इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके व्रत और पूजा का संकल्प लेते हैं. साथ ही इन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के लिए तांबे के कल्श में जल भरकर उसके चारों तरफ वस्त्र लपेटा जाता है. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है. पूजा समाप्ति के समय मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. पूजा की समाप्ति के बाद भगवान की आरती की जाती है. उसके बाद जरुरतमंदों को दान दिया जाता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम (Vishnu Sahasranama) का पाठ करना शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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