Varuthini Ekadashi 2022: वरुथिनी एकादशी की कथा के बिना अधूरा माना जाता है व्रत, जानें व्रत कथा और पारण का समय

Varuthini Ekadashi 2022: धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) महत्व भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने युधिष्ठिर (Yudhishthir) को बताया था.

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वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Vaishakh Ekadashi 2022) को वरुथिनी एकादशी कहते हैं.

Varuthini kadashi 2022: वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Vaishakh Ekadashi 2022) को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) महत्व भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने युधिष्ठिर (Yudhishthir) को बताया था. कहा जाता है कि जो भक्त इस एकादशी के व्रत का विधि-विधान (Ekadashi Vrat Vidhi) से पालन करते हैं उसके सभी पाप मिट जाते हैं. साथ ही वह स्वर्ग को प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी व्रत (Varuthini Ekadashi Vrat 2022) में पूजा के अलावा कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha) का भी विशेष महत्व है. माना जाता है कि बिना कथा पढ़े या सुने एकादशी व्रत (Varuthini Ekadashi Vrat) का पूरा लाभ नहीं मिलता है. चलिए बताते हैं  वरुथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha) और शुभ मुहूर्त के बारे में.

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान भगवान श्रीकृष्ण ने वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के महत्व के बारे में  युधिष्ठिर को बताया. उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता नामक राजा रहता था. किसी समय राजा जंगल में तपस्या में लीन था उसी वक्त एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाते हुए उसे घसीटकर ले जाने लगा. तभी राजा मान्धाता ने अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की. राजा की करुण पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और अपने चक्र से भालू को मार दिया. चूंकि भालू राजा का पैर खा चुका था,  इसलिए राजा अपने पैर को लेकर बहुत परेशान और चिंतित हो गए. इसके बाद भगवान विष्णु अपने भक्त को दुखी देखकर बोले- 'हे वत्स! चिंजा मत करो. मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की विधिपूर्वक से पूजा करना. पूजन के प्रभाव से तुम्हारे पैर ठीक और बलशाली हो जाएंगे'. राजा ने वैसा ही किया. व्रत के प्रभाव से राजा सुंदर और स्वस्थ हो गया. इललिए ऐसी मान्यता है कि जो भक्त वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है,  उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह स्वर्ग लोक को प्राप्त करता है.

वरुथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त और पारण (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat and Parana)


हिंदी पंचांग के मुताबिक वरुथिनी एकादशी तिथि का आरंभ  26 अप्रैल, मंगलवार देर रात 01 बजकर 36 मिनट से हो रहा है. साथ ही इस तिथि का समापन 27 अप्रैल, बुधवार रात्रि 12 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथी के कारण व्रत  26 अप्रैल, मंगलवार को रखा जाएगा. इसके अलावा वरुथिनि एकादशी का पारण समय 27 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 41 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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