सावन के महीनों में कांवर यात्रा के दौरान भक्ति की आनोखी तस्वीर देखने को मिलती है. भोले बाबा को खुश करने के लिए कहीं लोग दण्डवत प्रणाम करते हुए मंदिर पहुंचते हैं तो कहीं लोग श्रवण कुमार की भूमिका में दिखते हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीरों से हम आपको रू-ब-रू कराएंगे जिसकी चर्चा हरेक तरफ हो रही है. सबसे पहले चलते हैं देवघर. आपको बता दें कि बाबाधाम देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है जो देवघर में स्थित है. झारखंड के देवघर में स्थित इस मनोकामना ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. यह सिलसिला रोजाना सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक चलता है. गौतलब है कि, बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबाधाम तक 108 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में यह एशिया का सबसे लंबा मेला माना जाता है.
इसी देवघर में आजकल बिहार के जहानाबाद के रहने वाले चंदन कुमार काफी चर्चा में हैं. चंदन कुमार वाकई कलियुग के श्रवण कुमार हैं. उन्होंने तय किया है कि वो अपने मां और पिता को कांवर मे बैठाकर तीर्थ कराएंगे.
सुलतानगंज गंगा घाट पर गंगा स्नान के बाद अपने माता पिता को कांवर मे बैठाकर चन्दन और उसकी पत्नी रानी देवी बाबा भोलेनाथ की नगरी देवघर के लिए निकले हैं. मौके पर मौजूद सभी लोग यह नजारा देख हैरान रह गए. वहीँ कुछ पुलिस जवानों ने सहारा देकर कांवर उठाने में मदद भी करते दिखे.
वहीं उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में भी भक्ति का अनोखा नजारा देखने को मिला. बुलंदशहर के खुर्जा में स्थित चामड मंदिर से दंडवत प्रणाम करते हुए प्राचीन सिद्देश्वर मंदिर तक 4 किमी की यात्रा करते हुए भोले के भक्त देखे जा सकते हैं. मंदिर पहुंचकर श्रद्धालु भोले का जलाभिषेक करते हैं.
इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए भक्तों के चारों तरफ पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है.