Valmiki Jayanti 2022: इस एक घटना ने बदल दी आदिकवि वाल्मीकि की जिंदगी, जानें कैसे बन गए महर्षि

Valmiki Jayanti: वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. जनिए कैसे रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बने गए आदिकवि.

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Valmiki Jayanti: इस साल वाल्मीकि जयंती 09 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

Valmiki Jayanti 2022: वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस साल महर्षि वाल्मीकि जयंती 09 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक आदिकवि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी. जिस कारण से इन्हें आदिकवि कहा जाता है. वाल्मीकि जयंती पर हर साल जगह-जगह सांस्कृति कार्यक्रमों के आयोजन और झांकी निकाली जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि अपने प्रारंभिक जीवन काल में एक डाकू थे. मगर एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया. आइए जानते हैं कि वाल्मीकि कैसे एक डाकू से महर्षि और आदिकवि कहलाए. 

ऐसे डाकू से महर्षि बन गए रत्नाकर

धार्मिक कथाओं के अनुसार, पहले महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था. ये अपने जीवने के प्रारंभिक काल में लोगों को लूटकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे. कहा जाता है कि एक बार जब वे जंगल में ये काम कर रहे थे तो उस दौरान उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई. रत्नाकर ने नारद मुनि को भी लूटने के इरादे पकड़ा. जिसके बाद नारद जी ने रत्नाकर से पूजा- 'तुम यह काम क्यों कर रहे हो'. जिसके जवाब में रत्नाकर ने कहा कि वह अपने और परिवार के जीवनयापन के लिए ऐसा कर रहा है. फिर नारद मुनि ने रत्नाकर से पूछा कि क्या तुम्हारे इस पाप के भारी परिवार के सदस्य होंगे. रत्नाकर के पास इसका कोई उचित जवाब नहीं था. वह सोच में पड़ गया कि और कहा कि उसका परिवार उसके साथ हमेशा खड़ा रहेगा. तब नारद मुनि ने कहा कि घर जाकर परिवार के सदस्यों के पूछकर आओं के कि क्या तुम्हारे पाप से भागी वे बनेंगे. जिसके बाद रत्नाकर घर जाकर परिवार के सदस्यों के इसके बारे में पूछा. तब परिवार के सदस्यों ने इनकार कर दिया और कहा कि वे दुष्कर्म में उसका साथ नहीं देंगे. कहते हैं कि इस घटना के बाद से रत्नाकर को ग्लानि महसूस हुई और उसके बाद से ही सच्चाई के मार्ग पर चलने लगे. बाद में जाकर वही रत्नाकर डाकू से महर्षि बन गए.

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इस तरह हुआ वाल्मीकि नामकरण

पौराणिक कथा है कि वाल्मीकि जी किए हुए पापों का प्रायश्चित करने के लिए ब्रह्माजी की उपासना करने लगे. इस क्रम में बहुत दिनों तक जंगल में तपस्या करने लगे. ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए महर्षि वाल्मीकि तपस्या में इतना लीन हो गए कि उन्हें पता नहीं चल सका कि उनके शरीर पर दीमक लग गया है. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी महर्षि वाल्मीकि की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनका नाम वाल्मीकि रखा. जिसके बाद से रत्नाकर को महर्षि वाल्मीकि कहा जाने लगा. 

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वाल्मीकि जयंती 2022 शुभ मुहूर्त | Valmiki Jayanti 2022 Shubh Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार, वाल्मीकि जयंती आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 09 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 3 बजकर 41 मिनट से आरंभ हो रही है. पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 10 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर होगी. उदया तिथि के मुताबिक वाल्मीकि जयंती 09 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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