साल में चार बार मां दुर्गा के नवरात्रि मनाए जाते हैं, जिसमें दो चैत्र और शारदीय नवरात्र व दो गुप्त नवरात्र हैं. इस दौरान मां भगवती की पूजा अर्चना करने से कई गुना फल मिलता है. माघ मास में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है. गुप्त नवरात्रि में दस महादेवियां मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां काली, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी, मां कमला की पूजा का विधान है.
नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी कुछ कार्यों के करने की मनाही है. गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए. कहते हैं कि इन कार्यों को किया जाए तो मां दुर्गा रुष्ट हो जाती हैं और घर में सुख-समृद्धि का अभाव होता है, इसलिए गुप्त नवरात्रि के दिनों में भूल से भी ये काम ना करें.
देवी की पूजा के समय भूलकर भी ना करें ये काम
कहते हैं कि इन दिनों बाल नहीं कटवाने चाहिए, बच्चों का मुंडन संस्कार भी इस दौरान वर्जित है.
इन दिनों में भोजन में लहसुन और प्याज के प्रयोग से बचें.
माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में देर तक सोने की मनाही होती है.
गुप्त नवरात्रि के दिनों में पति-पत्नी को ब्रह्माचर्य के नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है.
माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में चमड़े की चीजों से दूर रहना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि के दौरान बैंगनी, नीले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें.
इस पर्व के दौरान किसी भी महिला का भूल से भी अपमान नहीं करें.
कहते हैं कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
मान्यता है कि इन दिनों में बेड या पलंग की जगह कुश की चटाई पर सोना चाहिए.
इन दिनों तामसिक यानि अत्यधिक तेल और मसालेदार भोजन करने से बचना चाहिए.
भगवती की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप
गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है, ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे. गुप्त नवरात्रि में माता के इन खास मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है. कहते हैं कि ऐसा करने से किसी भी समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है या किसी सिद्धि को हासिल किया जा सकता है. पौराणिक काल से ही लोगों की आस्था गुप्त नवरात्रि में रही है. देवी की पूजा के समय 'ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै, ॐ क्लीं सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन्य धान्य सुतान्यवितं, मनुष्यो मत प्रसादेंन भविष्यति न संचयः क्लीं ॐ, ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूं फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा' आदि विशेष मंत्रों का जप किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)