Vaishakh Purnima 2022: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन बन रहा है खास संयोग, जानें पूजा विधि

Vaishakh Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा इस बार इस बार 16 मई, 2022 को पड़ने वाली है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है.

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Vaishakh Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा पर सर्वार्थसिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है.

Vaishakh Purnima 2022: हिंदू धर्म में पूर्णिमा (Purnima) का खास महत्व है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और चंद्रमा (Chandra Dev) की पूजा करते हैं. इसके अलावा इस दिन घरों में सत्यनारायण भगवान की कथा भी की जाती है. वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2022) इस बार इस बार 16 मई, 2022 को पड़ने वाली है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yoga) का शुभ संयोग बन रहा है. धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ योग में मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Lakshmi Puja) करने से धन-वैभव और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) का शुभ मुहूर्त और मां लक्ष्मी पूजा की विधि. 


वैशाख पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Vaishakh Purnima Shubh Muhurat) 

हिंदी पंचांग के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से हो रही है. वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 16 मई को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा. वैशाख पूर्णिमा के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है. सर्वार्थसिद्धि योग दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से शुरू हो रहा है. यह शुभ योग अगले दिन सुबह 5 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. वहीं पूर्णिमा की शाम चंद्रोदय 7 बजकर 29 मिनट पर होगा. 

वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि (Vaishakh Purnima Puja Vidhi) 

वैशाख पूर्णिमा पर खासतौर पर मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है. मां लक्ष्मी की पूजा के लिए सुबह स्नान किया जाता है. इसके बाद व्रत और पूजन का संकल्प लिया जाता है. पूरे दिन फलाहाली व्रत रखने के बाद चंद्रोदय के समय पूजन किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले किसी साफ लाल वस्त्र या चौकी पर मां लक्ष्मी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित की जाती है. इसके बाद मां लक्ष्मी को गंगाजल, धूप, दीप से मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है. आवाहन के बाद उन्हें लाल या गुलाबी रंग के फूल, रोली, वस्त्र और नौवेद्य आदि अर्पित किया जाता है. फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप किया जाता है. मां लक्ष्मी का समक्ष शुद्ध घी या तिल के तेल का दीया जलाया जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देकर खीर का भोग लगाया जाता है. अंत में व्रत कथा और आरती के बाद पूजन का समापन किया जाता है. 

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मां लक्ष्मी मंत्र (Maa Lakshmi Mantra) 

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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