हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. कहते हैं कि आज के दिन स्नान, दान और ध्यान से पुण्य का फल मिलता है. आमतौर पर अमावस्या तिथि एक दिन की होती है, लेकिन कई बार ऐसा संयोग बनता है कि अमावस्या और दूसरी तिथियां दो दिनों की हो जाती है. इस साल जनवरी और फरवरी में कुछ ऐसा ही संयोग बनने जा रहा है. धार्मिक रूप से अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व होता है. माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का अनोखा संयोग बना है.
सनातन परंपरा में सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमावती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए सोमवती अमावस्या पर व्रत भी रखती हैं. इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का पूजन किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं.
सोमवार के दिन अमावस्या | Somvati Amavasya
सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन और व्रत किया जाता है. आज के दिन शिवजी का रुद्राभिषेक करना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है. सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है. वहीं, शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है. कहते हैं कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है. साथ ही पितरों कि आत्माओं को शांति प्राप्त होती है. मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और उसकी परिक्रमा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
मंगलवार के दिन अमावस्या | Bhaumvati Amavasya
बता दें कि मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है. आज महोदय नामक शुभ योग भी बन रहा है, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इसके साथ ही मंगलवार की रात को पंचक भी लग रहा है. कहते हैं इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान करना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. वहीं, मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमानजी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया है.
सोमवती अमावस्या पर पीपल की पूजा
इस दिन सूर्य उदय होने से पहले उठे.
स्नान के जल में एक चम्मच गंगाजल मिलाकर स्नान करें और हल्के रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
एक स्टील के लोटे में कच्चा दूध जल पुष्प अक्षत और गंगाजल मिलाएं.
पीपल के वृक्ष की जड़ में दाएं हाथ से दक्षिण दिशा की तरफ मुंह कर के इस जल को अर्पण करें.
विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करती हैं.
कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने मन की इच्छा बोलते हुए सफेद मिष्ठान्न पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पण करें, तो लाभ मिलता है.
सोमवती अमावस्या पर करें तुलसी की पूजा
आज के दिन शाम के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का दीया प्रज्वलित करें.
रोली, चावल, धूप, दीप से पूजा अर्चना करें.
तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करते समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार ही जाप करें.
भगवान श्री हरि विष्णु और तुलसी जी से प्रार्थना करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)