Skanda Sashti Vrat 2025: सनातन परंपरा में भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. दक्षिण भारत में मुरुगन (Lord Murugan) के नाम से पूजे जाने वाले भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए षष्ठी तिथि बहुत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. हिंदू मान्यता (Hindu Belief) के अनुसार भगवान कार्तिकेय का जन्म इसी पावन षष्ठी तिथि को हुआ था और इस व्रत को करने वाले साधक को संतान सुख की विशेष प्राप्ति होती है. आइए स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि, धार्मिक महत्व और नियम आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
स्कंद षष्ठी का कैसे रखें व्रत (Skanda Sashti Vrat 2025 Method)
यदि आप पहली बार भगवान कार्तिकेय की कृपा बरसाने वाला स्कंद षष्ठी व्रत रखने जा रहे हैं तो आपको सबसे पहले इस व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करना चाहिए. इसके बाद तन और मन से पवित्र होने के बाद इस व्रत को विधि-विधान से संकल्प करना चाहिए. फिर अपने घर के मंदिर अथवा ईशान कोण में एक चौकी पर आसन लगाकर भगवान कार्तिकेय का चित्र या फिर उनकी मूर्ति रखें. इसके बाद गंगाजल या फिर पवित्र जल से शुद्धिकरण करें. इसके पश्चात भगवान कार्तिकेय का पुष्प, फल, रोली, चंदन, धूप-दीप, और उनका प्रिय मोरपंख आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जप और अंत में आरती करें.
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भगवान कार्तिक की पूजा का मंत्र (Lord Kartikeya Mantra)
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी जप-तप या व्रत में मंत्र जप का बहुत महत्व माना गया है. ऐसे में आज स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा करते समय भगवान कार्तिकेय का 'ॐ श्री स्कंदाय नमः' अथवा 'ॐ सर्वणभवाय नमः' का जप कर सकते हैं. भगवान कार्तिकेय के इस मंत्र का जप आप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं. मंत्र जप का पुण्यफल पाने के लिए हमेशा अपनी जप माला का प्रयोग करें. कभी भूलकर भी गले में पहनने वाली माला का जप के लिए प्रयोग न करें.
भगवान कार्तिर्केय की पूजा के लाभ ( Lord Kartikeya worship benefits)
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान मुरुगन या फिर कहें भगवान कार्तिकेय के लिए स्कंद षष्ठी पर की जाने वाली पूजा एवं व्रत को करने पर साधक को सभी क्षेत्रों में सफलता और शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है. भगवान कार्तिकेय की कृपा से उनका साधक हमेशा सुखी और संपन्न रहता है. स्कंद षष्ठी व्रत का सबसे बड़ा पुण्यफल संतान सुख के रूप में मिलता है. भगवान कार्तिकेय की साधना मंगल, राहु और केतु से जुड़े दोष को भी दूर करती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)