माता शीतला के लिए शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है. शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) होली के सात दिन बाद मनाई जाती है. आज 24 मार्च के दिन शीतला सप्तमी है. कुछ भक्त शीतला माता के लिए शीतला सप्तमी तो कुछ शीतला अष्टमी का व्रत रखते हैं. माना जाता है कि पूरे मनभाव से माता शीतला के व्रत और पूजा करने वाले लोगों के कष्टों का निवारण हो जाता है. इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि माता शीतला भक्तों को सभी रोगों से मुक्ति भी दिलाती हैं. आइए जानें किस तरह किया जाता है शीतला सप्तमी पर शीतला माता (Sheetala Mata) का पूजन.
शीतला सप्तमी पूजा विधि | Sheetala Saptami Puja Vidhi
- मान्यतानुसार शीतला सप्तमी पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद से ही व्रत शुरू हो जाता है.
- इस दिन शीतला माता की पूजा के दिन घर का चूल्हा नहीं जलाया जाता है. माना जाता है कि पूजा का भोग एक दिन पहले ही तैयार कर लेना चाहिए.
- पूजा से एक दिन पहले रात में भक्त तरह-तरह के पकवान तैयार करते हैं, जैसे पुआ, पूड़ी, चावल और हलवा आदि.
- शीतला माता को भोग चढ़ाने के पश्चात प्रसाद का सेवन किया जाता है.
- शीतला सप्तमी पर शीतला माता का मंत्र 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्' पढ़ा जाता है.
- शीतला माता के मंत्र को तुलसी से बनी माला से जाप करने को शुभ मानते हैं.
- मान्यता के अनुसार शीतला माता की पूजा उनकी प्रतिमा के सामने की जानी चाहिए.
- शीतला माता की कथा सुनना अच्छा माना जाता है.
माना जाता है कि एक गांव में एक औरत रहती थी. वह औरत शीतला माता की भक्त थी और उनका व्रत भी रखती थी. उस गांव के अन्य लोग शीतला माता का व्रत नहीं रखते थे और ना ही उन्हें कुछ विश्वास था. जब गांव में आग लगी तो शीतला माता की भक्त को छोड़कर सभी की झोपड़ियां जल गईं. कारण का पता चला तो सभी को समझ आया कि शीतला माता की पूजा करने के चलते ऐसा हुआ है. तभी से लोग शीतला माता की पूजा करने लगे. इस पौराणिक कथा को भी तभी से सुना जा रहा है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)