षटतिला एकादशी व्रत (Shattila Ekadashi Vrat) माघ माह (Magh Month) में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi) के दिन रखा जाता है, जो इस बार 28 जनवरी को पड़ रही है. शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. हिंदू धर्म के अनुसार, माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है. कई जगह इसे तिल्दा या फिर षटिला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है, यानी कि हर महीने में दो एकादशी. भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित सभी एकादशी व्रतों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और मोक्षदायक माना गया है. षटतिला एकादशी को पापहारिणी के नाम से भी जाना जाता है जो समस्त पापों का नाश करती है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु जी का पूजन किया जाता है. सुबह-शाम दोनों वक्त भगवान की पूजा के बाद एकादशी की आरती करना शुभ माना जाता है. इस आरती के बिना षटतिला एकादशी की पूजा अधूरी मानी जाती है.
एकादशी आरती
ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी...॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी...॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)