Shardiya Navratri 2025: पितरों से जुड़े पितृ पक्ष खत्म होते ही आज से शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि प्रारंभ हो गया है. हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिनों में देवी के 9 स्वरूपों की पूजा को शुरू करने से पहले कलश पूजा का विधान है. वही कलश जिसे सनातन परंपरा के शुभ प्रतीकों में जाना जाता है. नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा में सिर्फ कलश ही नहीं बल्कि फल-फूल समेत कई ऐसी चीजें होती हैं जो शुभता और मंगल प्रतीक मानी गई हैं. आइए देवी पूजा से जुड़ी चीजों का धार्मिक महत्व विस्तार से जानते हैं.
नवरात्रि में कलश पूजा का महत्व
सनातन परंपरा में पूजा-पाठ के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले कलश को अत्यंत ही शुभ माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस मंगल प्रतीक में 9 ग्रह, 27 नक्षत्र और तमाम देवी-देवताओं सहित सभी तीर्थ समाहित होते हैं. यही कारण है कि तमाम तरह की पूजा-पाठ से लेकर नवरात्रि साधना करने से पहले इसके विधि-विधान से स्थापना की जाती है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति सिर्फ कलश की पूजा भी कर ले तो उसे देवी-देवता सभी का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है. नवरात्रि में कलश को हमेशा ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए और इसमें शुद्ध जल के साथ एक सिक्का अवश्य डालना चाहिए. कलश में नारियल को यदि खड़ा करके रखना चाहते हैं तो उसका मुख वाला भाग हमेशा ऊपर की ओर रखना चाहिए.
नवरात्रि में नारियल का महत्व
सनातन परंपरा में नारियल को श्रीफल कहा गया है. श्री का अर्थ शक्ति होता है. ऐसे में शक्ति की साधना करते समय नारियल को विशेष रूप से चढ़ाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार नारियल को कलश में लिटा कर रखना चाहिए, लेकिन यदि आप उसे खड़ा करके रखना चाहते हैं तो उसका मुख उपर की ओर रखें. नारियल को हमेशा मौली से लपेट कर ही कलश पर रखें. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा को नारियल अर्पित करके फोड़ने से भगवती का आशीर्वाद बरसता है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं.
नवरात्रि में गुड़हल के फूल का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार शक्ति की साधना में न सिर्फ लाल रंग के वस्त्र, आसन बल्कि लाल रंग के पुष्प को अर्पित करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. यही कारण है कि देवी दुर्गा की पूजा में विशेष रूप से गुड़हल का पुष्प अर्पित किया जाता है. गुड़हल का पुष्प को दिव्य शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि में माता को यह पुष्प चढ़ाता है कि भगवती शीघ्र ही उससे प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस पुष्प के पुण्य प्रभाव से साधक की नवरात्रि साधना सफल होती है.
नवरात्रि में अखंड ज्योति का महत्व
हिंदू धर्म में दीपक या फिर कहें दीया का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार अंधकार को दूर करके प्रकाश को फैलाने वाले दीया को जब शक्ति की साधना के लिए प्रयोग में लाया जाता है तो न सिर्फ भवगती प्रसन्न होती हैं, बल्कि आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा में अखंड दीप जलाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नवरात्रि में बंदनवार का धार्मिक महत्व
सनातन परंपरा से जुड़े लोग अपने घर में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करते समय अपने मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाते हैं. नववर्ष की शुरुआत हो या फिर नवरात्रि को लोग आम के पत्तों और फूलों आदि से बनी बंदनवार को दरवाजे पर लगाते हैं. इस बंदनवार के पीछे मंगलकामना होती है. मान्यता है कि बंदनवार को मुख्य द्वार पर लगाने से घर के भीतर नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है और शक्ति की साधना हो या फिर कोई अन्य कार्य वह बगैर किसी बाधा के संपन्न होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)