Navratri 2025: नवरात्रि का पर्व साल में दो बार नहीं बल्कि चार मनाया जाता है, जानें कैसे?

Navratri 2025: शक्ति की साधना के लिए फलदायी माना जाने वाला नवरात्रि महापर्व आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 22 सितंबर से प्रारंभ हो चुका है. देवी दुर्गा की पूजा और जप-तप-व्रत का पर्व साल भर में कब-कब मनाया जाता है? किस नवरात्रि की पूजा करने का क्या फल मिलता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Navratri Festival 2025: शक्ति की साधना से जुड़ी 4 नवरात्रि
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Navratri 2025: हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा, जप, तप और व्रत के लिए नवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. नवरात्रि में कुल 09 दिन देवी की साधना के लिए होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि में तिथि ​की वृद्धि के कारण यह 10 दिन का पर्व भले हो गया हो लेकिन तिथियों के अनुसार यह 09 दिन ही रहता है. सनातन परंपरा में नवरात्रि का पावन पर्व साल भर में एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे चार बार मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि देवी दुर्गा के इस पर्व को कब-कब मनाया जाता है और उसका क्या धार्मिक महत्व होता है. 

चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि

हिंदू धर्म में नवरात्रि का पावन पर्व साल में चार बार - चैत्र, आषाढ़ आश्विन और माघ मास में मनाया जाता है. चैत्र और आश्विन मास में मनाई जाने वाली नवरात्रि में प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि के बीच कुल 9 दिनों तक माता के 9 स्वरूपों की पूजा होती है, वहीं आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की साधना की जाती है.  चैत्र की नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है, इसलिए उसे बसंती नवरात्रि और आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं.

चैत्र नवरात्रि से हिंदू नवसंवत्सर की शुरुआत होती है तो वहीं शारदीय नवरात्रि सुख-समृद्धि के आगमन का प्रतीक मानी जाती है. चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि की तो इसमें 9 दिनों में 9 देवी यानि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की साधना की जाती है.

कब मनाई जाती है गुप्त नवरात्रि 

देवी पूजा के लिए गुप्त नवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इसमें साधक शक्ति की साधना गुप्त रूप से की जाती है. गुप्त नवरात्रि का पावन पर्व प्रतिवर्ष माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है. गुप्त नवरात्रि में भी आम नवरात्रि की पूजा की तरह कलश स्थापित करने के बाद ही देवी पूजा प्रारंभ किया जाता है.

गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 स्वरूपों - मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है. इस नवरात्रि में शक्ति के साधक देवी की पूजा में तंत्र-मंत्र का विशेष रूप से प्रयोग करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार जो साधक जितना गुप्त रूप से देवी की साधना करता है, उसे उतना ज्यादा ही पुण्यफल प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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