Shardiya Navratri 2024: माता रानी के नौ दिनों के शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की 3 अक्टूबर से शुरुआत हो गई है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूप पूरे श्रद्धाभाव से पूजे जाते हैं और माता रानी को तरह-तरह के भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. नौ देवियों की आराधना के लिए हर दिन अलग-अलग खूशबूदार फूल चढ़ाने का भी विधान है. मान्यता है कि मां दुर्गा (Goddess Durga) के इन नौ रुपों को अलग-अलग फूल पसंद हैं. इन देवियों को अलग-अलग तरह के फूल अर्पित करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं माता रानी को कौन सा फूल अर्पित करना चाहिए.
मां शैलपुत्री
शारदीय नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के रूप शैलपुत्री को पूजा जाता है. मां शैलपुत्री को चमेली और गुलाब के फूल अर्पित करने चाहिए.
मां ब्रह्माचारिणी
दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी को पूजा जाता है. मां ब्रह्माचारिणी को चमेली, कमल समेत सफेद रंग के फूल पसंद हैं. ऐसे में अपनी मनोकामनाएं पूरी करने लिए मां ब्रह्माचारिणी को यही फूल अर्पित करें.
मां चंद्रघंटा
मां दुर्गा का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा हैं. दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप को गुड़हल और लाल रंग के फूल बेहद पंसद हैं.
मां कुष्मांडा
चौथे दिन मां कुष्मांडा के चरणों में अर्पित होने का दिन है. मां कुष्मांडा को गेंदे के फूल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मां स्कंदमाता
शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता का है. मां स्कंदमाता को पीले और लाल रंग के फूल चढ़ाने से सभी कष्ट मिट जाते हैं.
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी दुष्टों का नाश करने के लिए जानी जाती हैं. मां कात्यायनी को फूल बेहद प्रिय हैं. शारदीय नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी को पूजने का नियम है. मां कात्यायनी को गुड़हल के फूल चढ़ाएं.
देवी कालरात्रि
शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना होती है. देवी कालरात्रि को चमेली और नीलकमल के फूल पसंद हैं.
मां महागौरी
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी को पूजा जाता है. मां महागौरी को बेल और चमेली के फूल चढ़ाने से व्यवसाय अच्छा चलता है.
मां सिद्धिदात्री
शारदीय नवरात्रि के आखिरी यानि नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दिन खीर-पूड़ी-हलवा आदि प्रसाद बनता है. मां सिद्धिदात्री को गुलाब का फूल और गुड़हल का फूल पंसद है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)