Shani Trayodashi/Pradosh 2021 Date: 4 सितंबर को है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Shani Pradosh Vrat : इस बार त्रयोदशी शनिवार (Shani Trayodashi ​) के दिन है. इसलिए प्रदोष को शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. शनि प्रदोष व्रत में भी भगवान शिव की पूजा आराधना होती है. मान्यता है कि इस दिन जो भी पूरे नियमों का पालन करते हुए भगवान शिव का पूजन करते हैं. शिवजी उसके सारे संकट हरते हैं.

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Shani Trayodashi : शिवजी की पूजा करें. भगवान को उनकी सभी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें.

Shani Trayodashi / Pradosh 2021 Date  : हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह आने वाले तेरहवें दिन यानि कि त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने की परंपरा रही है. भाद्रपद माह शुरू हो चुका है. इस माह की त्रयोदशी आने वाले 4 सितंबर को पड़ रही है. खास बात ये है कि इस बार त्रयोदशी शनिवार के दिन है. इसलिए प्रदोष को शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. शनि प्रदोष (Shani Trayodashi ) व्रत में भी भगवान शिव की पूजा आराधना होती है. मान्यता है कि इस दिन जो भी पूरे नियमों का पालन करते हुए भगवान शिव का पूजन करते हैं. शिवजी उसके सारे संकट हरते हैं. उस भक्त की सारी इच्छा-आकांक्षाओं की पूर्ति होती है और मान सम्मान भी बढ़ता है.

भाद्रपद में प्रदोष व्रत की तिथि (Shani Trayodashi 2021 Date)

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देखें तो 4 सितंबर 2021 को शनि प्रदोष व्रत है. पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार व्रत का शुभ फल प्राप्त करने का समय 4 सितंबर की सुह 8 बजकर 24 मिनट से है. इसके अगले दिन यानि 5 सितंबर को 8 बजकर 21 मिनट पर तिथि खत्म होगी. इसमें पूजन का श्रेष्ठ समय 4 सितंबर को सूर्यास्त के 45 मिनट बाद से पूजा करने का उत्तम समय शुरू हो जाएगा.

 ऐसे करें पूजन  (poojan)

त्रयोदशी (Shani Trayodashi ​) तिथि के दिन दो बार भगवान शिव की पूजा करना चाहिए. एक बार सुबह उठकर. स्नान आदि करने के बाद किसी मंदिर में या फिर घर की ही पूजा में शिवजी का पूजन-अर्चन करें. अक्षत, बेलपत्र और दीपक लगा कर पूजा करते हुए मन में शिव मंत्र का जाप करते रहें. सुबह की पूजा से निवृत्त होने के बाद व्रत रखें और शाम की पूजा की तैयारी करें. शाम की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ होता है. इस बार 4 सितंबर को सूर्यास्त के 45 मिनट बाद पूजा का शुभ समय है. इस समय पर फिर शिवजी की पूजा करें. भगवान को उनकी सभी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें. पंचामृत से उनका अभिषेक करें. शिव चालीसा का पाठ करना भी इस व्रत में शुभ माना जाता है.

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प्रदोष व्रत कथा  (Shani Pradosh Vrat Puja Vidhi)

प्रदोष व्रत से जुड़ी अलग अलग कथाएं सुनने को मिलती हैं. एक कथा के अनुसार क्षय रोग से छुटकारा पाने के लिए चंद्रदेव ने प्रदोष का व्रत रखना शुरू किया. दूसरी कथा एक सेठ और उसकी पत्नी की है. जिन्हें लंबे समय तक संतान नहीं हुई. संतान प्राप्ति के लिए दंपत्ति तीर्थ यात्रा पर निकले. इस बीच मिले एक सिद्ध साधु ने उन्हें प्रदोष व्रत रखने के लिए कहा. जिसके बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई. इसलिए संतान के लिए भी ये व्रत रखना शुभ होता है.

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शनि प्रदोष में क्या करें?

4 सितंबर को शनि प्रदोष है. ये शनि (Shani​) के दोषों से मुक्ति पाने का अच्छा दिन माना जाता है. इस दिन शिव चालीसा के साथ साथ शनि स्त्रोत का पाठ भी अवश्य करें. शनि मंत्र का जाप भी करते रहें.

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