Shani Pradosh Vrat 2025: आज है शनि प्रदोष व्रत, जानें किस पूजा से बरसेगी शिव कृपा और दूर होगा शनि दोष

Shani Pradosh Vrat 2025: सनातन परंपरा में त्रयोदशी तिथि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इसी दिन देवों के देव महादेव का प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस व्रत का महत्व तब और बढ़ जाता है, जब यह शनिवार के दिन बढ़ता है. भगवान और शनि के दिनों का संयोग आखिर क्या पुण्यफल दिलाता है जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

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Shani Pradosh Vrat ki puja vidhi aur shubh muhurat: सनातन परंपरा में भगवान शिव की कृपा बरसाने वाले प्रदोष व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह व्रत हर महीने में दो बार कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ता है. आज आश्विन मास के शुक्लपक्ष का प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है, उसी के नाम से जाना जाता है. जैसे आज शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. शनि प्रदोष व्रत की तरह अन्य दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का क्या महत्व होता है. आज शनि प्रदोष व्रत की पूजा कब और कैसे करें? आइए इसे विस्तार से जानते हैं. 

शनि प्रदोष व्रत की पूजा का महत्व 

पंचांग के अनुसार आश्विन मास की त्रयोदशी आज 04 अक्टूबर 2025 की शाम को 05:09 बजे से प्रारंभ होकर कल 05 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:03 बजे तक रहेगी. ऐसे में आज ही यह प्रदोष व्रत रखा जाएगा. आज शनि प्रदोष व्रत की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त यानि प्रदोष काल शाम को 06:03 से लेकर 08:30 बजे तक रहेगा. यानि आप तकरीबन दो घंटे के बीच में प्रदोष व्रत की पूजा करके पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं. 

कैसे करें शनि प्रदोष व्रत की पूजा?

आज स्नान ध्यान करके सबसे पहले शनि प्रदोष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विधि-विधान से शिव भगवान का पूजन करें और पूरे दिन जब कभी भी समय मिले तो महादेव का स्मरण और मंत्र जप करते रहें. इसके बाद शाम के समय एक बार फिर स्नान करें और प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में सबसे महादेव को गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद धूप, दीप, चंदन, पुष्प, बेलपत्र, भांग, नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद देवी पार्वती की ​भी विधि-विधान से पूजा करें. फिर प्रदोष व्रत की कथा कहें और उसके बाद रुद्राक्ष की माला से 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें.  प्रदोष व्रत की पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती अवश्य गाएं. 

प्रदोष व्रत में दिन के हिसाब से मिलता है फल

  • रवि प्रदोष व्रत: सुख-सौभाग्य और लंबी आयु प्रदान करता है. 
  • सोम प्रदोष व्रत: सभी कामनाओं को पूरा करता है. 
  • भौम प्रदोष व्रत: पाप और रोग से मुक्ति दिलाता है. 
  • बुध प्रदोष व्रत: कष्टों से मुक्ति और सिद्धि प्रदान करता है. 
  • गुरु प्रदोष व्रत: शत्रुओं पर विजय और सफलता दिलाता है. 
  • शुक्र प्रदोष व्रत: भौतिक सुख दिलाता है. 
  • शनि प्रदोष व्रत: शनि कष्ट से मुक्ति और महादेव का आशीर्वाद दिलाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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