Shaidev ki Aarti Lyrics in Hindi: नवग्रहों में जिस शनि का नाम आते ही अक्सर लोगों को डर लगने लगता है, वह दरअसल वो न्याय के देवता हैं, जो व्यक्ति के अच्छे और बुरे दोनों ही कर्म का समान रूप से फल प्रदान करते हैं. शनि को कोई दंडनायक तो कोई न्यायधीश तो कोई यम तक बुलाता है. शनिदेव को लेकर लोगों में इतना भय है कि जीवन से जुड़ी किसी भी तकलीफ को हम शनि की वक्री चाल, ढैय्या और साढ़ेसाती का होना ही मान लेते हैं लेकिन हर बार ऐसा ही नहीं होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्यपुत्र शनिदेव सभी भक्तों का कल्याण करने वाले हैं. शनिदेव एक ऐसे देवता हैं जो इस जगत में संतुलन स्थापित करते हैं.
आपको न तो शनि की चाल से घबराने की जरूरत है और नही उसकी ढैय्या या साढ़ेसाती से क्योंकि सनातन परंपरा में शनि की कृपा दिलाने वाले कई ऐसे उपाय बताये गये हैं, जिन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ शनिवार के दिन करने पर शनिदेव कष्ट की जगह कृपा बरसाते हैं. शनि की पूजा से जुड़ा एक ऐसा ही महाउपाय है उनकी आरती. आइए शनि को मनाने और उनकी पूजा को पूर्ण बनाने वाली शनिदेव की आरती का गान करते हैं. जिसे गाते ही शनि कृपा से सभी दुख दूर और कामनाएं पूरी होती हैं.
शनिदेव की आरती | Shani Dev Ki Arti
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी.
जय जय श्री शनि देव...
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी.
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी.
जय जय श्री शनि देव...
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी.
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी.
जय जय श्री शनि देव...
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी.
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी.
जय जय श्री शनि देव...
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी.
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी.
जय जय श्री शनि देव...
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)