Chandra Darshan 2025: सितंबर में अमावस्या के बाद कब होगा चंद्र दर्शन, जानें इसका धार्मिक महत्व और पूजन विधि

Chandra Darshan 2025: हिंदू धर्म में जिस चंद्रमा को देवता माना गया है उसका अमावस्या के बाद किस दिन दर्शन करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है? सितंबर महीने में कब होगा चंद्र दर्शन? चंद्र दर्शन की क्या पूजा विधि और उपाय है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Chandra Darshan 2025: सितंबर महीने में कब होगा चंद्र दर्शन?

September 2025 Chandra Darshan Date and time: सनातन परंपरा में न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिष की दृष्टि से चंद्रमा का दर्शन और पूजन अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक मास की अमावस्या के बाद द्वितीया के दिन चंद्रमा का दर्शन शुभता प्रदान करता है क्योंकि महादेव के माथे पर भी द्वितीया का चांद ही शोभायमान है. आइए जानते हैं कि सितंबर महीने में यह चंद्र दर्शन कब और कितने बजे होगा? साथ ही चंद्र दर्शन की पूजा विधि और उपाय के बारे में भी विस्तार से जानते-समझते हैं. 

कब होगा चंद्र दर्शन 

पंचांग के अनुसार सितंबर महीने में सुख-सौभाग्य की वर्षा कराने वाले चंद्र का दर्शन 23 सितंबर 2025, मंगलवार के दिन शाम को 06:16 से 06:53 बजे के बीच होगा. वहीं अगले महीने अक्टूबर की 23 तारीख को शाम 05:43 से 06:29 बजे के बीच यह चंद्र दर्शन होगा। 

चंद्र दर्शन की क्या पूजा विधि है?

हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्र दर्शन वाले दिन कई लोग उनका आशीर्वाद पाने के लिए विशेष रूप से व्रत रखते हैं और पूरे दिन कुछ भी नहीं खाते हैं. चंद्र दर्शन का व्रत रखने वाले लोग रात को चंद्र देवता के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं. यदि आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो भी आपको उनकी पूजा करते समय कुछ चीजों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. 

चंद्र देवता की पूजा तन और मन से पवित्र होने के बाद करें. चंद्र देवता की पूजा के समय यदि संभव हो तो सफेद कपड़े पहनें और उन्हें सफेद पुष्प, दूध, गंगाजल, अक्षत आदि अर्पित करें. चंद्र दर्शन के समय चंद्र देवता को भोग में विशेष रूप से खीर या फिर सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें. विधि-विधान से पूजा करने के बाद चंद्र देवता के मंत्र का अधिक से अधिक जप करें. 

चंद्र दर्शन का धार्मिक महत्व 

हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है. चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है. यही कारण है कि लोग हर महीने चंद्र दर्शन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इस दिन विधि-विधान से उसकी पूजा-अर्चना भी करते हैं. मान्यता है कि अमावस्या के बाद जब पहली बार चंद्र देवता की पहली रोशनी पृथ्वी पर पड़ती है तो उसके शुभ प्रभाव से सारी नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता फैलती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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