Sawan Somwar: आज एक ही दिन हैं सावन सोमवार और नाग पंचमी, जानिए पूजा की विधि और मुहूर्त 

Sawan Somwar: सावन के सातवें सोमवार का व्रत रखा जा रहा है आज. जानिए किस तरह मान्यतानुसार की जा सकती है पूजा संपन्न. 

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Naag Panchami: भगवान शिव और नाग देवता की पूजा का खास दिन है आज. 

Sawan Somwar 2023: सावन का महीना इस बार एक के बजाय पूरे 2 माह का मनाया जा रहा है. अधिक मास के चलते सावन में 4 के बजाय 8 सोमवार पड़ रहे हैं. आज 21 अगस्त के दिन, सावन के सातवें सोमवार का व्रत रखा जा रहा है. लेकिन, इस दिन का महत्व यहीं तक सीमित नहीं है क्योंकि आज सावन सोमवार के साथ-साथ नाग पंचमी (Nag Panchami) भी है. इस शुभ अवसर पर भक्त ना सिर्फ भगवान शिव बल्कि नाग देवता को भी प्रसन्न करने का प्रयास कर सकते हैं.

सावन सोमवार और नाग पंचमी 

सावन सोमवार और नाग पंचमी की पूजा अलग-अलग की जाती है. पंचांग के अनुसार, हर साल सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. नाग पंचमी के शुभ अवसर पर नागों की पूजा की जाती है. इस दिन खासकर वासुकी नाग की पूजा-आराधना होती है क्योंकि भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में वासुकी नाग ही विराजमान रहते हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त 

सावन सोमवार और नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 21 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक बताया जा रहा है. वहीं, उत्तम मुहूर्त मान्यतानुसार सुबह 9 बजकर 31 मिनट से 11 बजकर 6 मिनट तक है. प्रदोष काल मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. 

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सावन सोमवार पूजा विधि 

सावन सोमवार की पूजा में मान्यतानुसार पंच मेवा, फल, गंगाजल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, धूप, दीप, कपूर, रूई, मलयागिरी, चंदन, बेर और भांग आदि सम्मिलित किए जा सकते हैं. 

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भगवान शिव की पूजा (Shiv Puja)  करने के लिए भक्त सुबह सवेरे स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. इसके बाद शिव मंदिर जाकर पूजा की जाती है. बहुत से भक्त घर पर भी सावन सोमवार की पूजा करते हैं. पूजा में सभी सामग्रियों को भगवान शिव के समक्ष अर्पित किया जाता है. शिवलिंग का अभिषेक होता है और फिर भोलेनाथ की आरती करने के बाद भोग लगाते हैं और प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है. 

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नाग पंचमी पूजा विधि 

नाग पंचमी की पूजा करने के लिए घर के मुख्यद्वार के दोनों ओर नाग की आकृति बनाई जाती है. नाग देवता (Nag Devta) का चित्र या फिर मिट्टी से सर्प बनाए जा सकते हैं. इसके बाद धी, धूप और जल से तर्पण दिया जाता है. पूजा में दीप, धूप, माला, धान और फूल आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दिन नागों को दूध चढ़ाया जाना बेहद शुभ माना जाता है. आखिर में व्रत की कथा पढ़ी जाती है और आरती करने के पश्चात पूजा संपन्न होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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