Shiv Rudrashtakam: शिवजी की रुद्राष्टकम् स्तुति है बेहद फलदायी, भोलेनाथ जल्द होते हैं प्रसन्न, सावन में जरूर करें इसका पाठ

Shiv Rudrashtakam: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवजी की रुद्राष्टकम् स्तुति का पाठ करना बेहद खास माना जाता है. माना जाता है कि सावन शिवरात्रि पर इस शिवजी की इस स्तुति का पाठ करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
Shiv Rudrashtakam: सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए रुद्राष्टकम् स्तुति का पाठ किया जाता है.

Shiv Rudrashtakam: सावन का पवित्र महीना चल रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना के लिए यह महीना अत्यंत शुभ होता है. इसके साथ ही सावन मास की शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2022) के दिन की गई शिव जी की पूजा (Shiv Puja) के कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. कहा जाता है कि सावन मास की शिवरात्रि के दिन अगर शिवजी को भक्ति भाव से सिर्फ एक लोटा जल अर्पित किया जाए तो उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में अगर आप भी सावन में भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो सावन शिवरात्रि पर रुद्राष्टकम् (Rudrashtakam) का पाठ जरूर करें. आइए जानते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्री शिव रुद्राष्टकम् स्तुति (Shiv Rudrashtakam Stuti) की लिरिक्स. 

शिव रुद्राष्टकम् लिरिक्स | Shri Rudrashtakam Lyrics In Hindi


नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा

Mangla Gauri Vrat 2022: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज, पूजा के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त, पढ़ें कथा

Advertisement



चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये, ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति

Advertisement

इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम्

Sawan Shivratri 2022: सावन शिवरात्रि पर वर्षों बाद बन रहा है शिव-गौरी दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

मॉनसून स्किन केयर टिप्स बता रही हैं ब्यूटी एक्सपर्ट भारती तनेजा

Featured Video Of The Day
World की सबसे महंगी मुद्रा है Kuwaiti Dinar, सुनकर कान से निकलेगा धुआं