Sawan 2025 : सावन माह में शिव जी की विशेष पूजा क्यों होती है, जानिए इसकी पौराणिक कथा

इस मास का महत्व पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है. जिसके बारे में हमें विस्तार से बता रहे हैं आगे आर्टिकल में ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र, तो बिना देर किए आइए जानते हैं.

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भगवान शिव ने करुणा वश उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, ताकि वह संसार को नष्ट न कर दें.

Sawan pauranik katha : आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास (सावन माह) साल का पांचवां महीना होता है, जो विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है. इस मास का महत्व पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में आगे आर्टिकल में विस्तार से बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र, तो बिना देर किए आइए जानते हैं.

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सावन माह का शिव जी से क्या है संबंध

समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा

पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि श्रावण मास से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया. इस मंथन में 14 रत्न निकले, जिनमें एक भयंकर विष भी था जिसे "हालाहल" कहा गया.

इस विष की ज्वाला इतनी तीव्र थी कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में त्राहि-त्राहि मच गई. तब सभी देवता और असुर भगवान महादेव (शिवजी) के पास पहुंचे और उनसे इस संकट से उबारने की प्रार्थना की. तब भगवान शिव ने उस महान विष (हलाहल ) का पान किया. 

भगवान शिव ने करुणा वश उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, ताकि वह संसार को नष्ट न कर दे. विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और वे "नीलकंठ" कहलाए.

विष के प्रभाव से उनके शरीर में भयंकर गर्मी उत्पन्न हुई, जिसे शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल से उनका अभिषेक किया. यह घटना वर्षा ऋतु के श्रावण मास में हुई थी, और तभी से श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करना अति शुभ और फलदायक माना जाता है.

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ऐसा विश्वास है कि इस महीने में जल अर्पित करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनोवांछित फल देते हैं. श्रावण माह (सावन मास) से जुड़ी अन्य मान्यताएं इस प्रकार हैं. इस मास में शिवभक्त नदियों से गंगाजल लाकर कांवड़ में भरकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. 

देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए की थी तपस्या

श्रावण के हर सोमवार को व्रत रखने और शिव पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. शिव-पार्वती विवाह कथा का श्रवण भी विशेष रूप से करना चाहिए. इस माह में देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था. इससे भी यह महीना पवित्र माना जाता है.

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आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है

श्रावण मास केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसमें शिव की उपासना, उपवास, भक्ति और सेवा से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है. इस माह में प्रकृति में नए परिवर्तन होते हैं. सभी जीव जंतु खुश और प्रसन्न होते हैं. प्रेमी प्रेमिका और पति पत्नी में विशेष प्रेम और आकर्षण बढ़ता है.

भाई बहिन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार भी इस माह में मनाया जाता है. श्रावण माह में प्रकृति अपना प्यार हम सब पर भरपूर लुटाती है. श्रावण मास में भगवान शिव जी एवं माता पार्वती जी की पूजा का हजारों गुणा पुण्य मिलता है. श्रावण में हम सभी को अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण एवं प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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