सावन में भगवान शिव को इन चीजों का भोग लगाना माना जाता है बेहद शुभ, मिलता है महादेव का आशीर्वाद

सावन के पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के साथ ही उन्हें विशेष भोग लगाने का भी महत्व होता है. जानिए इस महीने महादेव के भोग में किन चीजों को करना चाहिए शामिल.

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भगवान शिव के प्रिय भोग जानिए यहां.

Sawan Puja: सावन के पवित्र महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है और सावन का समापन 19 अगस्त को होगा. ऐसे में सावन के पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. इस दौरान सोमवार को जहां व्रत किया जाता है तो अन्य दिनों में भी भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का महत्व होता है. ऐसे में भगवान शंकर की पूजा के दौरान आपको उन्हें क्या भोग (Bhog) अर्पित करना चाहिए और किस पूजन सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे वह अति प्रसन्न हों, जानें यहां. 

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शिवजी का प्रिय भोग

सावन में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करने के दौरान आप उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगा सकते हैं. आप दूध से बनी कोई मिठाई बना सकते हैं. इसके अलावा घर पर सूजी का हलवा बना सकते हैं, दही या पंचामृत भोग स्वरूप लगा सकते हैं. भगवान शिव को खीर (Kheer) भी बहुत पसंद होती है. ऐसे में आप उनके लिए चावल की खीर बना सकते हैं. मालपुआ, ठंडाई, लस्सी, सूखे मेवे आदि चीजों का भोग भगवान शिव को लगाया जा सकता है. ये सभी चीजें भोलेनाथ को अति प्रिय होती हैं.

भगवान भोलेनाथ की पूजा करना सबसे सरल माना जाता है, लेकिन उनकी पूजा में कुछ विशेष चीजे होती हैं जिन्हें रखना आवश्यक होता है. इनमें से कुछ चीजें हैं- पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, कमल के फूल, गुलाब के फूल, भांग, चंदन, कपूर, घी, धूप, फल, मिठाई और जल यह सभी चीजें भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के दौरान जरूर शामिल की जाती हैं.

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भोलेनाथ की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नम: शिवाय

शिव नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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