Sarva pitru Amavasya 2024: पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन हो जाता है. मान्यतानुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का पूजन किया जाता है या श्राद्ध किया जाता है जिनका श्राद्ध उनकी मृत्यु की तिथि पर किसी कारणवश नहीं किया जा सका या फिर जिनकी मृत्यु की तिथि याद ना हो. आज सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) भी लग रहा है. ऐसे में जानिए सर्वपितृ अमावस्या पर किस मुहूर्त में पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है.
सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध का शुभ मुहूर्त | Shraddh Shubh Muhurt On Sarva Pitru Amavasya
सर्वपितृ अमावस्या की तिथि 1 अक्टूबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहने वाली ही जिस चलते उदया तिथि के अनुसार 2 अक्टूबर के दिन ही सर्वपितृ अमावस्या मनाई जा रही है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक कुतुप मुहूर्त रहने वाला है. इसके बाद रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है.
श्राद्ध का शुभ मुहूर्त सर्वपितृ अमावस्या पर सुबह 11 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक है. इस समयावधि में श्राद्ध कार्य संपन्न किया जा सकता है. इस समयावधि में श्राद्ध, पिंडदान (Pind daan) और दान किया जा सकता है.
साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) आज सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने वाला है. इस ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार 2 अक्टूबर की रात 9 बजकर 13 पीएम से 3 बजकर 17 एएम तक लगने जा रहा है. यह वलायाकार सूर्य ग्रहण होने वाला है जो आसमान में आग के छल्ले जैसा दिखाई पड़ता है. इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) भी कहा जाता है.
सूर्य ग्रहण की विशेष धार्मिक मान्यता भी होती है और माना जाता है कि ग्रहण लगने से पहले सूतक काल लगता है. सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है और इस समय में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. भारत से इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा इसीलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)