Saphala Ekadashi 2021: 9 जनवरी को है सफला एकादशी, ये है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Saphala Ekadashi 2021: सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान व‍िष्‍णु की पूजा का विधान है.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
Saphala Ekadashi 2021: 9 जनवरी को है सफला एकादशी.
नई दिल्ली:

Saphala Ekadashi 2021: सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान व‍िष्‍णु की पूजा का विधान है. मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने से समस्‍त कार्यों में सफलता मिलती है. माना जाता है कि इस उपवास को रखने से आयु और स्वास्थ्य की रक्षा होती है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार जो कोई भक्‍त सच्‍चे मन और श्रद्धा से इस एकादशी (Ekadashi) का व्रत करता है उसके सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं और उसे जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है.

सफला एकादशी कब है (Saphala Ekadashi 2021 Date)
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं. इस बार सफला एकादशी 9 जनवरी को है. यह साल 2021 की पहली एकादशी भी है.

Makar Sankranti 2021: 14 या 15 इस साल कब है मकर संक्रां‍ति? जानिए इस पर्व का महत्व और पूजा विधि

Advertisement

सफला एकादशी 2021 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Saphala Ekadashi 2021 Shubh Muhurat)
सफला एकादशी की तिथि: 9 जनवरी 2021 ( शनिवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ - जनवरी 08, 2021 को रात 9:40 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - जनवरी 09, 2021 को शाम 7:17 बजे तक.

Advertisement

सफला एकादशी का महत्‍व 
हिन्‍दू धर्म में सफला एकादशी का बड़ा महात्‍व है और एक साल में दो सफला एकादशी मनाई जाती हैं. इस एकादशी की महत्ता ब्रहमांड पुराण में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी. पौराणिक मान्‍यता है कि सफला एकादशी का व्रत रखने से व्‍यक्ति के सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं. कहते हैं इस व्रत के प्रभाव से अगले जन्म का रास्ता साफ होता है और जीवन में खुशियां आती हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है. मान्‍यता है कि इस व्रत को रखने से भक्‍त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.

Advertisement

सफला एकादशी पर इस विधि से करें पूजा 
- अगर आप एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो दशमी यानी कि एक दिन पहले से ही व्रत के  नियमों का पालन करें. 
- व्रत के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. 
- एकादशी का व्रत निर्जला होता है. 
- अब घर के मंदिर में विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करें. 
- विष्‍णु की प्रतिमा को तुलसी दल, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें 
- अब विष्‍णु जी की आरती उतारें और घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद वितरित करें. 
- रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. 
- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें. 
- इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें.

Advertisement
Featured Video Of The Day
AAP से इस्तीफा के बाद BJP में शामिल हुए Kailash Gehlot | BREAKING NEWS
Topics mentioned in this article