भगवान गणेश के लिए रख रहे हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत, तो जरूर पढ़ें व्रत की यह कथा

Sankashti Chaturthi Vrat: मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने पर भगवान गणेश भक्तों पर कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. इस दिन संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ना भी बेहद शुभ माना जाता है.

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Sankashti Chaturthi Vrat Katha: इस कथा को पढ़े बिना अधूरी मानी जाती है संकष्टी चतुर्थी की पूजा.  

Sankashti Chaturthi 2024: पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. इस महीने 20 अक्टूबर के दिन वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है और व्रत रखा जा रहा है. मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने पर भगवान गणेश (Lord Ganesh) भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का वरदान देते हैं. इसके साथ ही भक्तों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत की कथा पढ़ना भी बेहद शुभ होता है. इस कथा को पढ़कर ही पूजा को संपन्न माना जाता है. 

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संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा | Sankashti Chaturthi Vrat Katha 

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह उस समय की बात है जब भगवान विष्णु का विवाह हो रहा था. इस विवाह में सभी देवताओं को निमंत्रण भेजा गया था. बारातियों में सभी थे लेकिन भगवान गणेश नहीं पहुंचे थे. इसका कारण पूछा गया तो पता चला कि भगवान शिव को न्योता भेजा गया था लेकिन भगवान गणेश के पास न्योता नहीं गया जिसपर सभी ने कहा कि अगर भगवान गणेश नहीं भी आए तो ठीक है. गणेश भगवान वहां आ पहुंचे लेकिन उन्हें घर की रखवाली करने के लिए बैठा दिया गया. 

नारदजी वहां आ पहुंचे और उन्होंने गणपति बप्पा को दरवाजे पर बैठा देखा तो वहां अकेले रुकने का कारण पूछा. गणेशजी ने बताया कि भगवान विष्णु ने मेरा अपमान किया है. यह सुनकर नारदजी ने सलाह दी कि आप अपनी मूषक सेना को बारात के आगे का रास्ता खोदने के लिए भेज दीजिए. जब सभी जमीन में धंस जाएंगे तो उन्हें आपको सम्मान के साथ बुलाना पड़ेगा. गणेशजी ने बिल्कुल ऐसा ही किया. 

इसके बाद हुआ वही जो सोचा था. सभी बाराती मूषकों की खोदी हुई जमीन में धंस गए. इसके बाद सबने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए. सभी ने बहुत उपाय सोचे लेकिन काम कोई नहीं आया. आखिर में नारदजी (Narad ji) वहां आए और भगवान गणेश का अपमान याद दिलाया. भगवान शंकर से गणेशजी को लाने की विनती की गई जिसके बाद गणपति बप्पा आए. 

बप्पा का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया गया, गणपति बप्पा के मंत्रों का उच्चारण किया गया और टूटे रथ फिर से ठीक हो गए, खुदी हुई जमीन भर गई. इसपर किसी ने कहा कि आपने जरूर गणपति बप्पा का सर्वप्रथम पूजन नहीं किया होगा इसीलिए आपके सब काम बिगड़ गए. गणपति बप्पा का जयकारा लगाया गया और तभी से संकटों से मुक्ति पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की शुरूआत हुई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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