Sandhya Pooja : चलिए जानते हैं कि संध्याकाल की पूजा किस तरह की जाती है.
Sandhya Puja Niyam: सनातन धर्म में तीन वक्त यानी त्रिकाल पूजा की बात की जाती है. सुबह और दोपहर की पूजा के साथ साथ संध्या काल (Evening Puja) यानी शाम के वक्त की पूजा को भी हिंदू धर्म में खासा महत्व दिया गया है. ये वो वक्त है जब सूर्यदेव (Lord Surya) अस्त होते हैं और मान्यता अनुसार इस समय भगवान शिव और मां पार्वती धरती का गमन करते हैं. इसलिए शाम की पूजा को बहुत ध्यान से और सच्चे मन से करना चाहिए. चलिए जानते हैं कि संध्याकाल की पूजा किस तरह की जाती है और इस पूजा के समय किन किन बातों का ख्याल रखना चाहिए. (Do's and Dont's in Evening Puja).
शाम कई पूजा में इन नियमों का करें पालन
- शाम की पूजा में कभी भी घंटी नहीं बजानी चाहिए. सुबह की पूजा में भगवान को जगाने के लिए शंख और घंटी बजाई जाती है. लेकिन सायंकाल की पूजा के वक्त भगवान शयन के लिए जाते हैं, इसलिए शंख या घंटी बजाकर उनकी नींद में खलल नहीं डालना चाहिए. इसलिए शाम की पूजा में शंख और घंटी नहीं बजानी चाहिए.
- शाम की पूजा में आप भगवान को फूल चढ़ा सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि शाम की पूजा के वक्त पेड़ से फूल तोड़ने की गलती ना करें. अगर आपको फूल चढ़ाने हैं तो आप पहले ही पेड़ों से फूल तोड़कर रख सकते हैं. दरअसल शाम के वक्त पेड़ों से फूल पत्ते तोड़ना गलत माना जाता है.
- शाम की पूजा का एक तय वक्त निर्धारित होता है. सूर्य अस्त होने से एक घंटा पहले या सूर्यास्त होने के एक घंटा बाद तय वक्त पर ही सायंकाल की पूजा करनी चाहिए.
- शाम के वक्त सूर्यदेव की पूजा कभी नहीं करनी चाहिए. उनकी पूजा का वक्त हमेशा सुबह ही होता है. इसलिए शाम के वक्त सूर्यदेव की पूजा ना करें.
- सांयकाल की पूजा के समय तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना अच्छा माना जाता है. लेकिन इस समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. इतना ही नहीं सायंकाल की पूजा में तुलसी के पत्तों को भी नहीं चढ़ाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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