Rudraksha Niyam: शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसुओं की उत्पत्ति माना जाता है. संस्कृत में 'रुद्र' का अर्थ होता है भगवान शिव (Lord Shiva) और 'अक्ष' का अर्थ है आंसु. इस चलते रुद्राक्ष का अत्यधिक धार्मिक महत्व होता है. इसे कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है. परंतु, रुद्राक्ष कोई आम चीज नहीं है जिसे जब चाहा तब पहन लिया. माना जाता है कि रुद्राक्ष से जु़ड़े नियमों (Rudraksha Rules) को जानने के बाद ही रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए अन्यथा महादेव क्रोधित हो सकते हैं.
कहां नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष | Where Rudraksha Should Not Be Worn
दाह संस्कार में मान्यतानुसार रुद्राक्ष को कभी भी किसी दाह संस्कार (Funeral) में पहनकर नहीं जाना चाहिए, खासकर उस स्थान पर जहां चिता जल रही हो. कहते हैं इससे रुद्राक्ष अशुद्ध हो सकता है और इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.
सोने के दौरान
कहते हैं शयनकक्ष (Bedroom) में रुद्राक्ष पहनकर ना सोना सही रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रुद्राक्ष की शुद्धता इससे प्रभावित हो सकती है. ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष को तकिये के नीचे रखकर सोने की सलाह दी जाती है जिससे बुरे स्वप्न दूर रहें.
जिस समय व्यक्ति मांस या मदिरा का सेवन कर रहा हो या किसी और नशीले पदार्थ का जलपान कर रहा हो तो रुद्राक्ष उतार देना चाहिए. मान्यतानुसार रुद्राक्ष की शुद्धता मांस-मदिरा के सेवन से खंडित हो सकती है.
रुद्राक्ष पहनने के अन्य नियम- मान्यतानुसार रुद्राक्ष को किसी भी व्यक्ति के साथ बांटना या किसी और रुद्राक्ष से बदलना नहीं चाहिए.
- रुद्राक्ष पहनने की सबसे सही जगह गले को माना जाता है. गले पर पहना गया रुद्राक्ष दिल को स्पर्श करता है.
- काले, पीले या फिर सफेद धागे में ही रुद्राक्ष को पिरोकर पहनना शुभ माना जाता है.
- सोना, चांदी, तांबा या मिश्रित धातु की तार में पिरोया हुआ रुद्राक्ष भी शुभ प्रभाव डालता है.
- रुद्राक्ष को पूजाघर (Puja ghar) में रखकर इसकी पूजा भी की जा सकती है. इससे घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है.
- रुद्राक्ष को हर महीने गर्म पानी में डालकर साफ किया जाता है जिससे यह स्वच्छ रहे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)