भगवान शिव (Lord Shiva) के कई अवतार हैं, इन्हीं में से एक विशिष्ट स्थान भैरव जी का भी है. हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami Vrat) किया जाता है. भगवान भैरव के विषय में कहा जाता है कि अगर कोई इनके भक्त का अहित करता है तो उसे तीनों लोकों में कहीं शरण प्राप्त नहीं होती है. कहते हैं काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. कालाष्टमी 23 फरवरी यानी आज पड़ रही है.
काल भैरव को उग्र स्वरुप के लिए जाना जाता है. काल भैरव अपराधिक प्रवत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक माने जाते हैं. कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भगवान शिव के अवतार काल भैरव (Kaal Bhairav) की आराधना की जाती है. आज के दिन काल भैरव का विधि-विधान से पूजन करने के बाद आखिर में भगवान काल भैरव की आरती उतारी जाती है. आइए जानते हैं कालाष्टमी के दिन पूजा के बाद की जाने वाली आरती के बारे में.
भगवान काल भैरव की आरती | Kaal Bhairav Aarti
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)