Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार के अटूट बंधन का त्योहार है. यह त्योहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. सनातन धर्म में राखी के त्योहार का खास महत्व है. इस दिन बहन राखी बांधकर भाई से रक्षा का वचन मांगती है. इस बार रक्षाबंधन के पर्व पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. यह त्योहार इस बार खास होने वाला है. राखी का त्योहार इस बार 19 अगस्त सोमवार (Raksha Bandhan on 19 august) को है. आइए जानते हैं इस साल राखी बांधने का शुभ समय-मुहूर्त (Rakhi Shubh Muhurat) कब है, भद्रा काल (Raksha Bandhan Bhadra Time) का समय कब से कब तक रहेगा...
सावन में कितने सोमवार के व्रत हैं बाकी, यहां जानिए चौथे सोमवार व्रत की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
महादेव को अति प्रिय हैं बेलपत्र, लेकिन क्या घर में लगाना चाहिए बेल का पेड़
बन रहे ये 4 शुभ संयोग
रक्षा बंधन के पर्व पर इस बार चार शुभ योग बन रहे हैं. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, 90 वर्ष के बाद राखी बांधना काफी शुभ है. वैदिक पंचांग में बताया गया है कि राखी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है. इसलिए इस बार का यह त्योहार काफी शुभ माना जा रहा है.
भद्रा काल में न बांधे राखी
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना गया है. इसलिए बहन 1 बजे के बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, 18 अगस्त को रात में में भद्राकाल प्रवेश कर रहा है. बहन 19 तारीख को 1 बजे के बाद से रात के 8 बजे तक राखी बांध सकती हैं. कच्ची राखी बांधेगी तो ज्यादा ठीक रहेगा, ये शुद्ध होती है.
रक्षाबंधन के दिन कब करें पूजा?
इस दिन सबसे पहले बहन और भाई सुबह स्नान कर लें, इसके बाद साफ-सुथरे धुले हुए कपड़े पहन लें. फिर दोनों घर के मंदिर में दीपक जलाएं और सूर्य देवता को जल चढ़ाएं. भगवान की पूजा करने के बाद राखी बांधने की थाली में कुमकुम, अक्षत, रक्षा सूत्र, नारियल, घी का दीपक, सिर पर रखने के लिए छोटा सा रुमाल, एक कलश, कलावा, सुपारी, दही और मिठाई रख लें. इसे मंदिर में भगवान को समर्पित करें.
रक्षाबंधन का क्या है महत्व?
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि सबसे पहले द्रौपदी ने श्री कृष्ण को राखी बांधी थी. ये मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी, खून बंद करने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर कटे हुए जगह पर बांधा था. उसी वक्त भगवान कृष्ण ने हमेशा द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया था. जब द्रौपदी को सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया जा रहा था, तब श्री कृष्ण ने अपना वचन निभाया था.