रक्षाबंधन पर बहनों को कब और क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी, जानें पीरियड और सूतक से जुड़े शास्त्रीय नियम

Raksha Bandhan 2025: सनातन परंपरा में किसी भी कार्य को करने से पूर्व शुभ-अशुभ समय देखने की परंपरा चली आ रही है. ऐसे में श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन पर्व पर किस समय बहनों को राखी बांधनी और किन परिस्थितियों में राखी नहीं बांधनी चाहिए, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ-अशुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2025 Rules: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन पर्व का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम की डोरी बांधकर उनके सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उससे जीवन भर अपनी रक्षा करने का वचन लेती हैं. यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम एवं पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर्व से जुड़े जिस पावन धागे ने पौराणिक काल में देवताओं के राजा इंद्र को विजय दिलाई थी और महाभारत (Mahabharat) काल में द्रौपदी की लाज बचाने का मुख्य कारण बना था, उस रक्षा सूत्र (Raksha Sutra) को कुछ परिस्थितियों में बहनों के द्वारा भाई को न बांधने का भी विधान है. आइए जानते हैं कि ज्योतिष (Astrology) और धर्म शास्त्र के अनुसार किस समय बहनों को अपने भाई को भूलकर भी राखी नहीं बांधनी चाहिए. 

परिवार में किसी की मृत्यु होने पर न बांधें राखी

जाने-माने ज्यातिषविद् एवं धर्म-कर्म के मर्मज्ञ आचार्य राज मिश्र के अनुसार यदि रक्षाबंधन के दिन या उससे पूर्व किसी व्यक्ति की मृत्यु भाई या बहन के परिवार में हुई हो और उसका सूतक (sutak) लगा हो तो उसे नहीं मनाना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार इस बीच में जब तक उस घर में बच्चा न हो जाए या फिर गाय को बछड़ा न हो जाए, तब तक वह पर्व नहीं मनाया जाता है. 

भद्रा के दौरान नहीं बांधी जाती राखी 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस भद्रा के समय रक्षाबंधन और होलिका का पर्व नहीं मनाया जाता है, वह सूर्य देव (Lord Sun) की पुत्री और शनि, यम और यमुना (Yamuna) की बहन हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भद्रा की उत्पत्ति राक्षसों की साधना में विघ्न पैदा करने के लिए हुई थी लेकिन जब उन्होंने देवताओं के यज्ञ आदि में विघ्न पैदा करना शुरु कर दिया तो ब्रह्मा जी ने उन्हें समझाते हुए पंचांग (Panchang) के विष्टि करण में जगह दे दी और कहा कि जब कभी भी कोई भद्रा (Bhadra) के दौरान शुभ कार्य करे तो तुम उसमें विघ्न डालना. हालां​कि इस साल रक्षाबंधन का पावन पर्व पूरी तरह से भद्रा से मुक्त हो. 

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अशुभ समय में न बांधे राखी 

शास्त्रों का नियम है कि जो तिथि सूर्योदय के साथ स्वीकार की जाती है, जिसे उदया तिथि भी कहते हैं, उन सभी में तीन मुहूर्त का होना बहुत जरूरी माना गया है. चूंकि एक मुहूर्त 24 मिनट का होता है, इसलिए उदया तिथि के लिए तीन मुहूर्त 72 मिनट का होना जरूरी माना गया है. पंडित राज मिश्रा के अनुसार इस साल पूर्णिमा तिथि 09 अगस्त 2025, शनिवार को 01:25 बजे तक है, इसलिए इस दिन राखी (Rakhi) बांधने में कोई दिक्कत नहीं है, अगर पंचांग के अनुसार यह स्थिति नहीं बनती तो बहनों को अपने भाई की कलाई पर दूसरे दिन शुभ समय देखकर राखी बांधनी पड़ती. 

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ग्रहण के दौरान न बांधे राखी

धर्मशास्त्र के अनुसार ग्रहण (Grahan) के दौरान शुभ कार्यों को करने के लिए पूर्णत: मना किया गया है. ऐसे में यदि किसी भी श्रावण पूर्णिमा पर ग्रहण का साया पड़े तो बहनों को सूतक काल के नियमों का पालन करते हुए अपने भाईयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए. हालांकि इस साल ऐसी कोई भी ग्रहण की स्थिति नहीं बन रही है. बहनों को रक्षाबंधन के दिन अभिजित मुहूर्त यानि मध्यान्ह काल में 12 बजे से लेकर 12:53 के बीच में अपने भाईयों को राखी बांधनी चाहिए. 

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पीरियड में क्या बहनों को बांधनी चाहिए राखी

आचार्य राज मिश्रा कहते है कि यदि कोई महिला ऋतुकाल या फिर कहें पीरियड में है तो उसे देवी-देवताओं की मूर्ति का स्पर्श निषेध माना गया है. ऐसे में वह रक्षाबंधन के दिन देवी-देवताओं और पवित्र पौधों को स्पर्श न कर पाने के कारण उन्हें राखी नहीं अर्पित कर सकती है लेकिन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांध सकती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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