Putrada Ekadashi 2022: आज है पौष पुत्रदा एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के साथ-साथ वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है. आज के दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है.

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Putrada Ekadashi 2022: जानिए साल की पहली एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है. पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 12 जनवरी की शाम 04 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) के साथ-साथ वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है. आज के दिन भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu Ji) और माता लक्ष्मी (Maa Lakshmi Puja) का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है. इसलिए संतान प्राप्ति की कामना करने वाले साधकों को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत (Putrada Ekadashi Vrat) अवश्य रखना चाहिए. जानिए पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

पौष पुत्रदा एकादशी तिथि व शुभ मुहूर्त | Putrada Ekadashi Tithi And Shubh Muhurat

  • पौष पुत्रदा एकादशी व्रत- 13 जनवरी 2022, गुरुवार.
  • एकादशी तिथि आरंभ- 12 जनवरी को सायं 04: 49 मिनट से,
  • एकादशी तिथि समाप्त-13 जनवरी को सायं 07: 32 मिनट तक.

पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का समय | Putrada Ekadashi Parana Time

  • 14 जनवरी 2022, शुक्रवार- प्रात: 07 बजकर 15 मिनट से 09  बजकर 21 मिनट तक.
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- 14 जनवरी, रात्रि 10 बजकर 19 तक.

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि | Putrada Ekadashi Puja Vidhi

  • यदि आप ये व्रत रखने जा रहे हैं तो दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें.
  • एकादशी के व्रत के नियम दशमी तिथि से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी पर व्रत पारण तक चलते हैं.
  • ध्यान रखें भोजन में प्याज लहसुन वगैरह का सेवन न करें.
  • एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • पूजा स्थल पर बैठकर विधि पूर्वक व्रत का संकल्प लें.
  • भगवान को धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, फूल माला और नैवेद्य अर्पित करें.

  • पूजा के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि समस्त पूजन सामग्री संबंधित मंत्रों के साथ अर्पित करें.
  • पूजा के बाद पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पढ़ें.
  • इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें.
  • शाम को विधि-विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा और आरती करें.
  • पूरे दिन का उपवास रखें और ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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