इस्कॉन पूरे वर्ष स्नान और रथ यात्रा मना रहा है, यह अनुचित, शास्त्रों और परंपराओं के विरुद्ध है - गजपति दिव्यसिंह देब

गजपति दिव्यसिंह ने एएनआई से बातचीत में कहा कि हमारी सनातन वैदिक संस्कृति में इसके लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित है और यह केवल ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही मनाई जाती है. हम देख रहे हैं कि इस्कॉन विदेशों में अलग-अलग दिनों में जन्मोत्सव मना रहा है, जोकि अनुचित है. शास्त्रों व परंपरा के विरुद्ध है. 

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हम देख रहे हैं कि इस्कॉन विदेशों में अलग-अलग दिनों में जन्मोत्सव मना रहा है, जोकि अनुचित है. शास्त्रों व परंपरा के विरुद्ध है. 

Rath yatra 2025 : पुरी के पूर्व राजा गजपति दिव्यसिंह देब ने इस्कॉन भक्तों द्वारा भारत के बाहर "साल भर" भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मनाने पर आपत्ति जताई है और इसे "अनुचित" और परंपरा व शास्त्रों के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि चाहे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हो या स्नान यात्रा की तिथियां यह स्वयं भगवान ने स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण और विभिन्न धर्मग्रंथों में तय की हैं. गजपति दिव्यसिंह ने एएनआई से बातचीत में कहा कि हमारी सनातन वैदिक संस्कृति में इसके लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित है और यह केवल ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही मनाई जाती है. हम देख रहे हैं कि इस्कॉन विदेशों में अलग-अलग दिनों में जन्मोत्सव मना रहा है, जोकि अनुचित है. शास्त्रों व परंपरा के विरुद्ध है. 

उन्होंने आगे कहा "इस पर रोक लगाने के लिए पश्चिम बंगाल के मायापुर स्थित इस्कॉन मुख्यालय के साथ बातचीत चल रही है. हमें उम्मीद है कि उन्हें जगन्नाथ पुरी मंदिर से जानकारी और शास्त्रीय प्रमाण मिलेंगे और वे भारत के बाहर इस उल्लंघन को रोकेंगे, क्योंकि इससे दुनिया भर में भगवान जगन्नाथ के सभी भक्तों की धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है."

आपको बता दें कि इससे पहले, दिव्य सिंह देब ने कहा था कि हालांकिभारत में इस्कॉन शास्त्र-आधारित परंपराओं का पालन करने के लिए सहमत हुआ है और हाल के वर्षों में कोई उल्लंघन नहीं देखा गया है. उन्होंने कहा, "आलोचना के बाद, भारतीय इस्कॉन शास्त्रों के अनुसार स्नान यात्रा और रथ यात्रा मनाने के लिए सहमत हुआ है और पिछले दो-तीन वर्षों से कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. लेकिन भारत के बाहर, इस्कॉन पूरे वर्ष स्नान यात्रा और रथ यात्रा मना रहा है. यह अनुचित है, शास्त्रों और परंपराओं के विरुद्ध है. श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी इसे रोकने के लिए प्रयास कर रहा है."

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जगन्नाथ पुरी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई भी बदलाव शंकराचार्य की ओर से ही होना चाहिए.

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उन्होंने कहा, "फिलहाल इस बारे में कोई चर्चा नहीं हो रही है. इस बारे में शंकराचार्य से ही बात करनी होगी. यह एक धार्मिक मामला है और केवल एक धर्मगुरु ही इस पर कोई निर्णय ले सकता है, तभी इसमें कोई बदलाव हो सकता है. मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता. स्थापित परंपरा यह है कि केवल हिंदुओं को ही प्रवेश का अधिकार है."

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पुरी के पूर्व राजा ने वार्षिक उत्सव में बढ़ती भीड़ के बारे में भी बात की और सरकार से बेहतर सुविधाएं प्रदान करने का आह्वान किया.

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उन्होंने कहा, "हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. इस साल रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 15 लाख थी. सरकार को आवास, सुरक्षा और सुविधाओं के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी चाहिए. इस साल श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षा से कहीं अधिक थी. रथ यात्रा के नौ दिनों के दौरान लाखों लोग अनुष्ठानों में शामिल हुए. मुझे विश्वास है कि राज्य सरकार अच्छी सुविधाएं प्रदान करेगी."

उनकी यह टिप्पणी 29 जून को रथ यात्रा के दौरान हुई भगदड़ के बाद आई है, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे.

रात में रथ खींचने के फैसले पर उन्होंने कहा कि कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन सुरक्षा पर विचार किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "सरकारी निर्देशों के अनुसार, यदि रथ मंदिर के निकट पहुंच जाते हैं, तो उन्हें रात में भी खींचा जा सकता है. स्कंद पुराण के अनुसार, रात में भी, यदि आवश्यक हो, तो हजारों मशालों का उपयोग करके रथों को खींचा जाना चाहिए और रथ को किसी भी तरह मंदिर तक पहुंचाया जाना चाहिए. रात में रथ खींचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. लेकिन भक्तों की सुरक्षा और दुर्घटनाओं से बचने के लिए, रात में रथ खींचना उचित नहीं है."

7 जुलाई को, बड़ी संख्या में भक्त पवित्र 'अधारा पन्ना' अनुष्ठान के लिए पुरी में एकत्रित हुए, जहां भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को रथ पर एक विशेष पेय दिया गया. यह अनुष्ठान रथ यात्रा समारोह के सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक है.

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