Pradosh Vrat: पंचांग के अनुसार प्रति माह 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है. इस व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) की खास पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों का प्रयास रहता है कि वे भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनकी कृपा पा सकें. अगला प्रदोष व्रत 1 जून, गुरुवार के दिन पड़ रहा है. प्रदोष व्रत मान्यतानुसार गिनकर रखे जाते हैं और जब प्रदोष व्रत के दिन पूरे हो जाते हैं तो व्रत का उद्यापन (Udyapan) किया जाता है. उद्यापन के समय भक्तों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है.
प्रदोष व्रत का उद्यापन कैसे करें
माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं उनपर भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसती है और उन्हें जीवन के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. वहीं, प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखना ही नहीं बल्कि व्रत की कथा पढ़ना व सुनना भी बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं यह दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा (Shiv Puja) के लिए बेहद मंगलकारी होता है. मान्यतानुसार प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य करते हैं और इसीलिए इस समय पूजा करने वालों का कल्याण होता है. इसके अतिरिक्त प्रदोष काल में पूजा करने पर कष्टों का निवारण होता है.
प्रदोष व्रत का उद्यापन करते हुए कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है.
- प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर करना ही अत्यधिक शुभ माना जाता है.
- उद्यापन 11 या 26 प्रदोष व्रत रखने पर ही किया जाता है. इससे कम या ज्यादा दिन के व्रत करने से बेहतर व्रत की इस संख्या को माना जाता है.
- उद्यापन करने से एक दिन पहले भगवान गणेश की पूजा करना शुभ होता है.
- जिस दिन उद्यापन (Pradosh Vrat Udyapan) किया जाना है उससे एक रात पहले घर में कीर्तन व जागरण किया जाता है.
- उद्यापन के दिन सुबह सवेरे स्नान पश्चात पूजा का मंडप सजाया जाता है. इसके अलावा, घर में रंगोली बनाना शुभ मानते हैं.
- घर में शांति पाठ किया जाता है. भक्त इस दिन पूरे मनोभाव से शिव आरती गाते हैं.
- भक्त अपनी मनोकामनाएं और इच्छाएं भोलेनाथ से कहते हैं.
- उद्यापन के पश्चात सभी में प्रसाद का वितरण होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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