Pradosh Vrat: नया साल यानी 2025 शुरू होने वाला है. लोग नए साल की शुभता के लिए पूजा-पाठ करते हैं और देवों से प्रार्थना करते हैं कि उनके लिए नया साल शुभ रहे. इसके लिए हिंदू धर्म में दो प्रमुख व्रतों का विधान है. एक है एकादशी व्रत और दूसरा है प्रदोष व्रत. एकादशी व्रत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, वहीं प्रदोष व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की पूजा होती है. ऐसे में नए साल में कब है पहला प्रदोष व्रत और इसका क्या महत्व है, जानें यहां.
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नए साल का पहला प्रदोष व्रत | First Pradosh Vrat Of 2025
हिंदू धर्म में हर महीने में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. यानी 12 महीने में 24 प्रदोष व्रत रखने का विधान है. प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो इस व्रत को करता है उस पर भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा बनी रहती है.
साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी, शनिवार को रखा जा रहा है. ये शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है. इस दिन शनिवार है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) भी कहा जा रहा है. जो लोग शनिदेव की दशा, महादशा, साढ़ेसाती से परेशान हैं उन्हें भी यह व्रत रखने से लाभ मिलता है.
जो लोग भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें यह व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि ऐसे लोगों का जीवन में चल रहा बुरा समय खत्म होता है और सुख-शांति व सौभाग्य मिलता है. इस व्रत से इच्छाएं पूरी होती हैं और समृद्धि मिलती है. मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से शनि देव की कृपा मिलती है.
इस बार का शनि प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में किया जाएगा. हिंदू धर्म के अनुसार, जो व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में किया जाता है उसका फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने का महत्व बढ़ जाता है. शनि देव की पूजा का भी विशेष फल प्राप्त होगा.
पंचांग के अनुसार, पौष माह की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी, शनिवार सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 12 जनवरी, रविवार सुबह 06 बजकर 33 बजे पर होगा. शनि प्रदोष व्रत पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त 11 जनवरी, शनिवार को शाम 05 बजकर 43 मिनट से रात 08 बजकर 26 मिनट तक का होगा.
कैसे करें शनि प्रदोष व्रत पर पूजा
हिंदू धर्म में विधान है कि प्रदोष व्रत रखते हैं तो उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए. स्नान करना चाहिए. साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मंदिर जाकर शिवलिंग पर सफेद चंदन, फूल, बेलपत्र आदि अर्पित करें. शिवलिंग का जलाभिषेक करें. पूरे दिन व्रती रहें. शाम को प्रदोष काल के समय पूजा का विधान है. प्रदोष काल में घी का दीपक जलाएं. शिव चालीसा का पाठ करें. भोलेनाथ के मंत्रों का जप करें. मां पार्वती की पूजा करें. पूजा के बाद आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं. इस दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान देना शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)