Pradosh Vrat 2023: इस दिन रखा जाएगा नवंबर का पहला प्रदोष व्रत, इस तरह कर सकते हैं भगवान शिव की पूजा 

Pradosh Vrat Date: हर महीने में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. कहते हैं इस दिन पूजा करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है. 

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत में की जाती है भगवान शिव की पूजा.  

Pradosh Vrat: हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) के लिए प्रदोष व्रत रखना बेहद शुभ होता है और इस दिन पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पंचांग के अनुसार, 10 नवंबर, शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) कहा जाता है. जानिए इस प्रदोष व्रत में किस तरह की जाती है पूजा और कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न. 

प्रदोष व्रत की पूजा विधि | Pradosh Vrat Puja Vidhi 

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. 
  • इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. 
  • प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है. इस चलते सुबह भक्त केवल शिव मंदिर दर्शन के लिए चले जाते हैं और रात में प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं. 
  • प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल (Pradosh Kaal) होता है. प्रदोष काल 5 बजे के बाद शुरू होता है और आमतौर पर 8-9 बजे तक रहता है. 
  • पूजा सामग्री में बेलपत्र, धूप, दीप, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और गंध आदि शामिल किए जाते हैं. 
  • व्रत रखने वाले भक्त दिनभर केवल फलाहार का सेवन करते हैं. 
  • इस दिन ना केवल शिव शंकर बल्कि माता पार्वती की पूजा भी की जा सकती है. 
  • पूजा सामग्री को भगवान शिव के समक्ष अर्पित करने के बाद आरती की जाती है और भोग लगाया जाता है. 
  • भक्त पूजा में शिव मंत्रों का जाप भी करते हैं. 
  • भोग लगाने के बाद सभी में प्रसाद का वितरण होता है और पूजा संपन्न होती है. 
प्रदोष व्रत का महत्व 

महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत सोमवार के दिन हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं, मंगलवार के दिन पड़ने पर इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है, इसी तरह बुध प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत और रवि प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. हर प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है. शुक्रवार के दिन पड़ने वाले शुक्र प्रदोष व्रत को भ्रुगुवारा प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत को रखने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इससे जीवन में धन और खुशहाली आते हैं और साथ ही हर कार्य में सफलता भी मिलती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Stubble Burning: पराली जलान में सबसे आगे कैसे पहुंचा Madhya Pradesh? आदिवासी किसानों ने बताया समाधान
Topics mentioned in this article