हिंदू धर्म में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. कहा जाता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Maa Parvati Puja) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. बता दें कि इस साल के पहले प्रदोष व्रत पर ब्रह्म योग बन रहा है, जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है. शास्त्रों में बताया गया है कि शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. जो भी भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं, वे शाम के समय पूजा मुहूर्त में शिवलिंग की विशेष पूजन करते हैं.
बता दें कि हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से व्रती के सभी संकटों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. कहते हैं प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव बहुत जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं.
ब्रह्म योग में शनि प्रदोष व्रत
साल 2022 का पहला प्रदोष व्रत ब्रह्म योग में पड़ रहा है. 15 जनवरी को ब्रह्म योग दोपहर 02 बजकर 34 मिनट तक है, उसके बाद से इंद्र योग शुरू हो जाएगा. इस दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है. वहीं रवि योग रात 11 बजकर 21 मिनट से अगले दिन 16 जनवरी को प्रात: 07 बजकर 15 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत महत्व
भगवान शिव को प्रदोष व्रत (Bhagwan Shiva Pradosh Vrat 2021) अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा पाने के लिए हर माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) सबसे उत्तम माना गया है. प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति, संतान, शांति, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है. हर माह दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि (Triyodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati Puja) की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं, सप्ताह के जिस दिन व्रत होता है, उसे उसी नाम से बुलाया जाता है. कहा जाता है कि इस व्रत को विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है, साथ ही संतान को लाभ मिलता है और बेहतर स्वास्थ्य व लंबी आयु प्राप्त होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)