20 या 21 अगस्त कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए किस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा

Pradosh Vrat August 2025: प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व होता है. ऐसे में यहां जानिए इस महीने कब रखा जाएगा कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत. शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर मिलती है भगवान शिव की कृपा.

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Pradosh Vrat Kab Hai: प्रदोष व्रत कब है जानिए यहां.

Pradosh Vrat 2025: हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत में मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि पूरे मनोभाव से महादेव की पूजा की जाए तो भक्तों पर भोलेनाथ की कृपादृष्टि पड़ती है और आरोग्य का वरदान मिलता है. हालांकि, इस महीने प्रदोष व्रत की तिथि को लेकर भक्तों में खासा कंफ्यूजन की स्थिति बन रही है. ऐसे में यहां जानिए 20 या 21 अगस्त कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत और किस शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) में की जा सकती है भगवान शिव की पूजा संपन्न.

कब है प्रदोष व्रत | Pradosh Vrat August 2025 Date | Kab Hai Pradosh Vrat

पंचांग के अनुसार, अगस्त के महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त की दोपहर 01:58 बजे से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 21 अगस्त की दोपहर 12:44 बजे हो जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसीलिए 20 अगस्त, बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने के चलते इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है.

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

शिव मंदिर जाकर सुबह भी पूजा की जा सकती है लेकिन, प्रदोष व्रत की पूजा (Pradosh Vrat Puja) का शुभ मुहूर्त शाम के समय बनता है. ऐसे में 20 अगस्त की शाम 6 बजकर 56 मिनट से रात 9 बजकर 7 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करने पर भगवान शिव की अत्यंत कृपा प्राप्त होगी.

कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा

प्रदोष व्रत पर पूजा करने के लिए सुबह के समय उठा जाता है. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और उसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. भक्त सुबह के समय भी मंदिर दर्शन करने जाते हैं लेकिन प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, फल, मिठाई, गंगाजल, भांग, अक्षत, गुलाल और दीपक शामिल किए जाते हैं. शिवलिंग अभिषेक किया जाता है, शिव मंत्रों का जाप होता है, आरती होती है और भोग लगाकर पूजा संपन्न की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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