रामायण की यह चौपाई है सबसे पावरफुल, हर दिन करिए इसका पाठ, जन्म-जन्मांतर के पाप जाते हैं धुल!

क्या आपको पता है तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों में जीवन की हर समस्या का समाधान मिल जाएगा. माना जाता है इसका पाठ करने से जन्म जन्मांतरों के पाप से मुक्ति मिल जाती है और भय, रोग आदि भी दूर हो जाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
आइए जानते हैं रामचरित मानस की उस चौपाई के बारे में जिसका पाठ करने से आपको मानसिक शांत मिलेगी.

Ramayan Chaupai significance : मनुष्य का जीवन तीनों चीजों से मिलकर बना है, पहला है खुशी, दूसरा शोक और तीसरा डर. इसमें से तीसरा वाला जो भाव है डर का, यह व्यक्ति को आगे बढ़ने और सफल होने में रुकावट पैदा करता है. ऐसे में लोग इसको खत्म करने के लिए भगवान का सहारा लेते हैं. पूजा पाठ करते हैं, ताकि उनके अंदर का जो भय है, वो निकल जाए. इसके लिए गीता, रामचरित मानस, सुंदर कांड जैसे धार्मिक ग्रंथों का भी लोग पाठ करते हैं. क्या आपको पता है तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों में जीवन की हर समस्या का समाधान है. माना जाता है इसका पाठ करने से जन्म जन्मांतरों के पाप से मुक्ति मिल जाती है और भय, रोग आदि भी दूर हो जाते हैं.

रामचरित मानस की इस चौपाई का स्‍मरण करने से हर काम में भक्‍तों को म‍िलेगी सफलता

ऐसे में आइए जानते हैं रामचरित मानस की उस चौपाई के बारे में, जिसका पाठ करने से आपको मानसिक शांत मिलेगी और प्रभु श्री राम का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा.

जा पर कृपा राम की होई । 
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥

Advertisement

इस चौपाई का अर्थ है जिन पर प्रभु श्री राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू नहीं सकता. जिसके अंदर कपट, झूठ और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति राम बसते हैं. साथ ही उनके ऊपर प्रभु की कृपा सदैव होती है.

Advertisement

कहु तात अस मोर प्रनामा । 
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी। 
हरहु नाथ मम संकट भारी॥

इस चौपाई का अर्थ है - भगवान श्री राम! आपको मेरा प्रणाम. आपसे मेरा निवेदन है कि हे प्रभु! अगर आप सभी प्रकार से पूर्ण हैं दीन-दुखियों पर दया करना आपकी प्रकृति है, तो हे नाथ! आप मेरे सभी संकट को हर लीजिए.

Advertisement

होइहि सोइ जो राम रचि राखा । 
को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥ 
अस कहि लगे जपन हरिनामा । 
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥

Advertisement

इस चौपाई का अर्थ है - वही होगा जो राम जी चाहेंगे. ऐसे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा. ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहां गईं जहां सुख के धाम प्रभु राम थे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
AI के इस्तेमाल से आपके बच्चों पर पड़ रहा है ये असर | ChatGPT | Khabron Ki Khabar
Topics mentioned in this article