Pongal 2021: सूर्य उपासना का त्योहार है पोंगल, 4 दिनों तक ऐसे मनाया जाता है पोंगल का पर्व

Pongal 2021 Date: इस बार पोंगल (Pongal) का त्‍योहार 14 जनवरी से शुरू गया है और यह 17 जनवरी तक मनाया जाएगा. इस दिन से तमिल कैलेण्डर के महीने की पहली तारीख आरम्भ होती है.

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Pongal 2021: सूर्य उपासना का त्योहार है पोंगल.
नई दिल्ली:

Pongal 2021: पोंगल (Pongal) दक्षिण भारत का प्रमुख त्‍योहार है. उत्तर भारत में जहां, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) मनाई जाती है, वहीं दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु में हिंदू परिवार धूमधाम से पोंगल का त्‍योहार मनाते हैं. यह त्योहार 4 दिन तक मनाया जाता है. पोंगल मुख्‍य रूप से कृषि पर्व है, जिसमें सूर्य की उपासना की जाती है. पोंगल सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है. इस बार पोंगल का त्‍योहार 14 जनवरी से शुरू हो रहा है और यह 17 जनवरी तक मनाया जाएगा. इस त्योहार को पोंगल इसलिए कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, तमिलनाडु में उसे पोंगल कहते हैं. तमिल भाषा में पोंगल का मतलब है: अच्छी तरह से उबालना और सूर्य देवता को भोग लगाना.

तमिलनाडु में पोंगल का विशेष महत्व है. इस दिन से तमिल कैलेण्डर के महीने की पहली तारीख आरम्भ होती है. इस प्रकार पोंगल एक तरह से नववर्ष के आरम्भ का भी प्रतीक है.

पोंगल का त्योहार कैसे मनाया जाता है?
इस पर्व पर लोग सुबह जल्दी उठकर नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान की आराधना करते हैं.  पोंगल पर चावल, गुड़ और चने की दाल से पारंपरिक पकवान तैयार किए जाते हैं. तमिल भाषा में पोंगल का मतलब है अच्‍छी तरह उबालना. यानी कि चावल, गुड़ और दाल से बने इस भोग को अच्‍छी तरह उबालकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है. भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पोंगल के पकवान का भोग लगाया जाता है, जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

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4 दिनों तक ऐसे मनाया जाता है पोंगल का त्योहार

भोगी: पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. पहला दिन भोगी होता है, इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है और सफाई से निकले पुराने सामानों से ‘भोगी' जलाई जाती है.

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थाई: दूसरे दिन पोंगल का मुख्य त्योहार होता है, जो तमिल महीने थाई के पहले दिन मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने-अपने घरों में मीठे पकवान चकरई पोंगल बनाते हैं, जो सूर्य देवता को समर्पित किया जाता है. इस अवसर पर चावल के आटे से सूर्य की आकृति भी बनाई जाती है.

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मट्टू पोंगल: तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है, जब गाय, बैलों को नहलाकर उनके सींगों को रंगा जाता है और उनकी पूजा की जाती है. महिलाएं पक्षियों को रंगे हुए चावल खिलाती हैं और अपने भाइयों के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं. 

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कन्नम पोंगल: चौथे दिन कन्नम पोंगल मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे मुलाकात करते हैं और और एक-दूसरे को शुभकामना सन्देश देते हैं.

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