Shradh 2025: दो-तीन नहीं कुल 12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानें पितरों के लिए ये कब और क्यों किये जाते हैं?

12 Types of Shradh: भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक 16 दिनों तक पितरों के लिए किये जाने वाला श्रद्धापूर्वक पूजन कार्य श्राद्ध या फिर कहें पितृयज्ञ कहलाता है। श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं और उनका क्या महत्व है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Shradh 2025: पितरों के लिए कितने तरह के किये जाते हैं श्राद्ध?
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Pitru Paksha 2025 Types of Shradh: पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक किए जाने वाले श्राद्ध से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और प्रसन्न होकर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. मान्यता यह भी है कि अपने वंशजों से पिंडदान लेने के लिए पितर पृथ्वी पर तमाम स्वरूपों में आते हैं. यही कारण है कि लोग पितरों के प्रति पूजा या फिर कहें तर्पण, पिंडदान आदि से जुडत्रे इस पितृपक्ष का पूरे साल इंतजार करते हैं. इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से प्रारंभ होकर 21 सितंबर 2025 तक रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार श्राद्ध कितने प्रकार से किये जाते हैं और उनका क्या महत्व है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं. 

सनतान परंपरा में 12 प्रकार के श्राद्ध का वर्णन मिलता है, जिसमें नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिंडन, पार्वण, गोष्ठ, शुद्धार्थ, कर्मांग, दैविक, औपचारिक एवं सांवत्सरिक श्राद्ध हैं. आइए इन सभी श्राद्धों के बारे में जानते हैं 

1. नित्य श्राद्ध : हिंदू मान्यता के अनुसार यह श्राद्ध प्रतिदिन किया जाता है. जिसमें व्यक्ति अपने पितरों को तिल, जल, दूध धान्य, फल, शाक आदि संतुष्ट करने का प्रयास करता है. 

2. नैमित्तिक श्राद्ध: यह श्राद्ध एकोदिष्ट श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है और इसे विधि-विधान से करने के बाद व्यक्ति श्रद्धा और अपनी क्षमता के अनुसार 1, 3 या 5 की संख्या में ब्राह्मण को भोजन कराकर दान आदि करता है. 

3. काम्य श्राद्ध: यह श्राद्ध अपने नाम के अनुसार किसी कामना से जुड़ा होता है. इस श्राद्ध को अक्सर लोग किसी कामना की पूर्ति के लिए करते हैं. 

4. वृद्धि श्राद्ध: इस श्राद्ध को अक्सर लोग धन-धान्य और वंश वृद्धि के लिए पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं. 

5. सपिंडन श्राद्ध:  प्रेतात्मा, पितात्मा, दिव्यआत्मा और अज्ञात आत्माओं के निमित्त किया जाता है. 

6. पार्वण श्राद्ध: हिंदू मान्यता के अनुसार जो श्राद्ध अमावस्या अथवा किसी अन्य पर्व आदि पर किया जाता है, वह पार्वण श्राद्ध किया जाता है. 

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7. गोष्ठ श्राद्ध: हिंदू मान्यता के अनुसार यह श्राद्ध गोमाता के लिए किया जाता है. इस श्राद्ध को अत्यंत ही पुण्यदायी माना गया है. 

8.शुद्धार्थ श्राद्ध: सनातन परंपरा में यह श्राद्ध किसी योग्य ब्राह्मण के माध्यम से पितरों की संतुष्टि, सुख-सौभाग्य और संपत्ति की प्राप्ति के लिए किया जाता है. 

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9. कर्मांग श्राद्ध: हिंदू धर्म में यह श्राद्ध विभिन्न प्रकार के कर्म, गर्भाधान, पुंसवन संस्कार आदि के समय किया जाता है. 

10. दैविक श्राद्ध: यह श्राद्ध देवताओं के विशेष रूप से यात्रा आदि के समय किया जाता है. 

11. औपचारिक श्राद्ध: सनातन परंपरा में यह श्राद्ध स्वस्थ शरीर की कामना लिए किया जाता है. 

12. सांवत्सरिक श्राद्ध: इस श्राद्ध को मृत व्यक्ति की पुण्य तिथि पर किया जाता है. इसे अत्यंत ही श्रेष्ठ और पितरों का आशीर्वाद दिलाने वाला माना गया है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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