Sarva Pitru Amavasya 2025: पितृपक्ष के आखिरी दिन कैसे करें पितरों की विदाई, जानें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की पूरी विधि

Sarva Pitru Amavasya 2023: पितृपक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को रहेगा और इसी दिन पूरे 15 दिन बाद पितरों की विदाई होगी. पितृपक्ष में इसे सबसे खास दिन क्यों माना जाता है और इस दिन कब और कैसे करें पितृ विसर्जन, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन कैसे करें पितरों का श्राद्ध?

Sarva Pitru Amavasya 2025 Shradh Time: हर साल आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उन सभी पितरों को याद करने का दिन होता है, जिनकी तिथि याद न हो या जो अनजाने में छूट गए हों. माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान जो दिवंगत आत्माएं धरती पर आती हैं, उन्हें इस दिन विधि-विधान श्राद्ध, तर्पण आदि करने के बाद आदर के साथ विदा किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार अगर इस दिन पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक श्राद्ध किया जाए तो वे अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। आइए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए की जाने वाली पूजा और इसका धार्मिक महत्व जानते हैं। 

  • सर्वपितृ अमावस्या पर क्या करें (What to do on Sarva Pitru Amavasya)

दिन की शुरुआत स्नान और साफ-सफाई से करें

सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान—ध्यान करें। यदि संभव हो तो गंगा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने के लिए जाएं और अगन ऐसा संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर भी नहाया जा सकता है. स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें और मन को शांत रखें.

स्नान के बाद करें पितरों के लिए तर्पण 

तर्पण का मतलब है जल के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि देना. इसके लिए एक लोटे में पानी लें, उसमें जौ, काले तिल और कुश डालकर पितृ आदि को जल दें। पितरों के लिए जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके देना चाहिए. जल देते समय "ॐ पितृभ्यः स्वधा" मंत्र बोलें. यह क्रिया मन से करनी चाहिए, दिखावे के लिए नहीं.

कैसे करें पितरों का पिंडदान?

पितरों के लिए पिंडदान यदि संभव हो तो किसी योग्य पुरोहित की देखरेख में करना चाहिए। ​पिंडदान करने के लिए चावल, जौ, तिल और गाय का घी मिलाकर गोल आकार के पिंड बनाएं. इन्हें साफ जगह पर पत्ते या थाली में रखें और पितरों का ध्यान करके अर्पित करें. पिंडदान से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं.

पंचबलि का नियम

पितरों के अलावा कुछ जीवों को भी भोजन देना जरूरी होता है. एक-एक हिस्सा गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं के लिए निकाला जाता है. यह बहुत पुरानी परंपरा है और इसका मकसद है सभी प्राणियों को भोजन देना.

ब्राह्मण भोजन और दान

सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने का बड़ा पुण्यफल माना गया है। ऐसे में यदि संभव हो तो 1, 3 या 5 ब्राह्मणों को आमंत्रित करें. इसके लिए ब्राह्मण को पूर्व में ही आदर के साथ आमंत्रित करें। ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पितरों के लिए निकाला गया हिस्सा अलग रखें. भोजन के बाद ब्राह्मण को वस्त्र, अन्न या जो भी संभव हो, वह दान करें.

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पीपल के नीचे दीपक जलाएं

सर्वपितृ अमावस्या की शाम के समय पीपल के पास या घर की चौखट पर एक चौमुखा दीपक जलाएं. यह दीपक पितरों के मार्गदर्शन का प्रतीक होता है. दीपक जलाते समय "ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः" मंत्र बोलें और पितरों से सुख-शांति की प्रार्थना करें.

पितरों को आदर के साथ करें विदा

दीपक जलाने के बाद मन में अपने पितरों को अपने लोग जानें के लिए कहें और पितृपक्ष में किए गये श्राद्ध, तर्पण आदि में हुई भूल के लिए क्षमा और अपने कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगे। प्रार्थना करें कि पितर आपके परिवार पर हमेशा कृपा बनाए रखें. यह एक भावनात्मक पल होता है, क्योंकि इससे परिवार और पूर्वजों के बीच का रिश्ता और भी मजबूत होता है.

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दान का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या पर दान-पुण्य करना बहुत शुभ माना जाता है. ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, भोजन, फल, मिठाई, बर्तन आदि दान करें. ऐसा करने से पितरों को संतोष मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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