Pitru Paksha 2025 purchasing rules: पितृपक्ष में नई चीजों को खरीदने का आखिर किस पर लागू होता है नियम, जानें सिर्फ एक क्लिक में

Pitru Paksha 2025 purchasing rules: पितृपक्ष की शुरुआत होते ही लोग अक्सर इस दुविधा में पड़ जाते हैं कि वे नई चीजों को खरीदें या नहीं? ऐसे में सवाल यह भी उठता है अगर ऐसा कोई नियम है तो क्या वह परिवार के सभी सदस्यों पर लागू होता है? पितरों से जुड़े पितृपक्ष को लेकर क्या कहते हैं धर्म के जानकार, जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

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Pitru Paksha 2025: क्या पितृपक्ष में नई चीजें नहीं खरीदी जातीं, दूर करें सारा कन्फ्यूजन
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Shradh rules for purchasing in Pitru Paksha 2025: पितरों के प्रति कृतज्ञता और आदर प्रकट करने वाला पितृपक्ष 07 सितंबर से प्रारंभ होकर 21 सितंबर तक चलेगा. महालय या फिर कहें श्राद्ध से जुड़े इन 16 दिनों को लेकर तमाम लोगों में अक्सर इस बात को लेकर भ्रम रहता है कि इस दौरान नई चीजों का खरीदना शुभ या अशुभ है? कुछ लोगों को इस बात की शंका होती है कि यदि वे सदियों से चले आ रहे नियम को तोड़ते हैं तो कहीं उनके पितर नाराज न हो जाएं? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या धर्म शास्त्र में ऐसा कोई नियम है? यदि है तो वह किस पर लागू होता है? आइए पितृपक्ष में खरीदादारी को लेकर आपका सारा कन्फ्यूजन दूर करते हैं. 

सिर्फ श्राद्ध कर्ता पर लागू होते हैं कुछ नियम

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष (Astrology) विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि पितृपक्ष में खरीददारी को लेकर समाज में एक लोक भ्रांति बन गई है, जबकि शास्त्रों में ऐसे किसी भी नियम का उल्लेख नहीं है. ऐसे में व्यक्ति बगैर किसी चिंता या भय के सभी चीजों की खरीददारी करनी चाहिए. पितृपक्ष के दौरान सिर्फ श्राद्धकर्ता के लिए कुछेक नियम बताए गये हैं क्योंकि वह 16 दिनों के पितृयज्ञ या फिर कहें अनुष्ठान से जुड़ा रहता है. 

इसमें वह नवरात्रि (Navratri) के जप-तप की तरह ही पितृपक्ष में भी बाल-नाखून को न कटवाना, सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि नियमों का पालन करता है. उसके अलावा परिवार के सभी सदस्य इन नियमों से मुक्त होते हैं, इसलिए यदि कोई व्यक्ति पितृपक्ष में मकान को खरीदना या बेचना चाहता है या फिर अपने बच्चे का जन्मदिन (Birthday) मनाना चाहता है तो उसके लिए कोई रोक नहीं है. चूंकि यह पितरों से जुड़ा पक्ष है इसलिए इसमें लोगों को अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हुए नैतिक रूप से जीवन जीना चाहिए. 

पितृपक्ष में क्यों नहीं होते विवाह और गृह प्रवेश

काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेद्वी के अनुसार पितृपक्ष में विवाह, गृह प्रवेश गृहारंभ, इसलिए नहीं होते की इसमें इसकी मनाही है, बल्कि इसलिए नहीं होते क्योंकि इसमें इन चीजों के लिए कोई मुहुर्त ही नहीं है. सिर्फ पितृपक्ष ही नहीं बल्कि नवरात्र, दीपावली (Diwali) तक विवाह आदि नहीं होते हैं. यह महज एक भ्रम है, इसलिए सभी सामान्य कार्य पितृ पक्ष में किए जा सकते हैं. 

व्य​क्ति को चाहिए कि पितृ पक्ष का पुण्यफल पाने के लिए इन 16 दिनों में पितरों को जल अवश्य दें और गौ ग्रास, श्वान की रोटी जरूर निकालें. पितरि प्रीतिमायान्ते प्रीयन्ते सर्व देवता. पितरों के प्रसन्न होने से सभी देवगण प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष में सत्यनिष्ठा शुचिता तथा प्रसन्न होकर व्यक्ति को प्रतिदिन की भांति ही पूजा पाठ करना चाहिए.

पितृपक्ष में खरीददारी को लेकर फैलाया गया सिर्फ एक भ्रम है 

उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पं. रमेश सेमवाल कहते हैं कि शास्त्र में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं मिलता है कि पिृतपक्ष में नई चीजों को नहीं खरीदना चाहिए. यह सिर्फ एक भ्रम पर आधारित मान्यता है जो चली आ रही है. पितृपक्ष में सिर्फ मांगलिक कार्य, शुभ कार्यों की शुरुआत जैसे गृह प्रवेश, नया कारोबार शुरू करना आदि के लिए मना है. बाकी आपकी जो भी जरूरत है, उससे जुड़ा आप सारा सामान खरीद सकते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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