Pitru Paksha 2025 Chaturdashi Shradh: आज है चतुर्दशी श्राद्ध, जानें कब और किस पूजा से बरसेगा पितरों संग शनि देव का आशीर्वाद?

Chaturdashi Shradh 2025: जिस पितृपक्ष को सनातन परंपरा में पितरों की पूजा और मुक्ति के लिए फलदायी माना गया है, आज शनिवार के दिन उसमें चतुदर्शी का श्राद्ध किया जाएगा. चतुर्दशी का श्राद्ध किसके लिए करते हैं और इस दिन किन उपायों को करने से पितरों संग बरसेगा शनि देव का आशीर्वाद, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Pitru Paksha 2025: चतुर्दशी श्राद्ध और शनि पूजा का उपाय

Pitru Paksha 2025 Chaturdashi Shradh: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का पखवाड़ा पितरों की पूजा के लिए समर्पित है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस पावन पक्ष में पितर पृथ्वी पर आते हैं और उनके लिए जो भी पूजा, पिंडदान, तर्पण या फिर श्राद्ध किया जाता है, उससे संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध आज शनिवार के दिन किया जाएगा. यह श्राद्ध उन दिवंगत आत्माओं के लिए किया जाता है, जिनकी अकाल मृत्यु हुई होती है. 

चतुर्दशी श्राद्ध के दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति

पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि के दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. हिंदू धर्म में चतुर्दशी श्राद्ध को 'घट चतुर्दशी', 'घायल चतुर्दशी', और 'चौदस श्राद्ध' भी कहा जाता है. आइए इस श्राद्ध के धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं. 

चतुर्दशी श्राद्ध का धार्मिक महत्व 

गरुड़ पुराण के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी अकाल मृत्यु (जैसे दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि) हुई हो. स्वाभाविक मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता. इस श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर परिवार को सुख, समृद्धि, यश और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं.

चतुर्दशी श्राद्ध के दिन शनि पूजा का भी संयोग

चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध इस साल शनिवार के दिन पड़ रहा है, जो हिंदू मान्यता के अनुसार शनिदेव को समर्पित है. अग्नि पुराण में उल्लेखित है कि शनिवार का व्रत रखने से साधक को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है. यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है. मान्यताओं के अनुसार, सात शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. इसके साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा भी मिलती है.

शनिदेव की पूजा विधि 

सूर्य पुत्र शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दिया जलाएं. रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.

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शनिवार को इस पाठ से पूरी होगी कामना 

इसके साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए और राजा दशरथ की रचना 'शनि स्तोत्र' का पाठ भी करें और 'शं शनैश्चराय नम:' और 'सूर्य पुत्राय नम:' का जाप करें. मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है. हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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