Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष चतुर्थी श्राद्ध आज, इस तरह लगाएं पंचबली भोग, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

Pitru Paksha 2022: धार्मिक मान्यता के अनुसार, पंचबली भोग के बिना श्राद्ध कर्म पूरा नहीं होता है. साथ ही इसके बिना पितर असंतुष्ट रहते हैं. ऐसे में जानते हैं कि पंचबली भोग की विधि और इसका महत्व क्या है.

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Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में इस तरह लगाया जाता है पंचबली भोग.

Pitru Paksha 2022 panchbali bhog: पितृ पक्ष में चतुर्था तिथि का श्राद्ध आज किया जा रहा है. श्राद्ध कर्म में पंचबली भोग का खास महत्व है. मान्यता है कि पंचबली भोग (panchbali bhog) के बिना श्राद्ध (Shradh 2022) कर्म पूरा नहीं होता. इसके साथ ही मान्यता यह भी है कि ऐसा ना करने से पितर भी अतृप्त और असंतुष्ट रहते हैं. वे नाराज होकर भूखे ही वापस लौट जाते हैं. ऐसे में जानते हैं कि चतुर्थी श्राद्ध में पंचबली भोग का क्या महत्व है और इसे लगाने की सही विधि क्या है. 

पितृ पक्ष चतुर्थी श्राद्ध 2022 | pitru Paksha Chaturthi Shradh

चतुर्थी तिथि आरंभ- 13 सितंबर, मंगलवार सुबह 10 बजकर 37 मिनट पर 

चतुर्थी तिथि समाप्त-  14 सितंबर, मंगलवार, सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक

श्राद्ध में पंचबली भोग का महत्व | Significance of Panchbali Bhog in Shradh

धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक पंचबली भोग लगाने का विधान है. माना जाता है कि पंचबली भोग से पितर तृप्त हो जाते हैं. जिसके बाद वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पंचबली भोग में पांच प्रकार के जीवों को भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि इन्हीं के द्वारा पितर अन्न ग्रहण करते हैं. 

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कैसे लगाया जाता है पंचबली भोग | How Panchbali Bhog is offered

पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध के दिन जो भोजन उनके निमित्त पकाया जाता है, उसे पांच केले के पत्ते पर अलग-अलग निकाला जाता है. हर जीव के अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण करते हुए अक्षत छोड़ा जाता है. इस प्रकार पंचबली भोग गाय, कौआ, कुत्ता, चीटी और देवता को समर्पित किया जाता है. पंचलबी दोपहर के समय करना अधिक उचित माना गया है. 

पंचबली भोग विधि और मंत्र | Panchbali Bhog Vidhi and Mantra

गो बलि - पंचबली भोग का पहला भोग गाय के निमित्त निकाला जाता है, जिसे गौ बली कहा जाता है. गौ बलि निकालते वक्त निम्म मंत्र बोलते हुए अक्षत छोड़ें.

मंत्र - ॐ सौरभेयः सर्वहिताः, पवित्राः पुण्यराशयः।।प्रतिगृह्णन्तु में ग्रासं, गावस्त्रैलोक्यमातरः॥ इदं गोभ्यः इदं न मम्।।

पिपीलिकादि बलि- इस पंचबली में चीटियों को भोग लगाया जाता है. इनके माध्यम से पितर भी भोग स्वीकार कर लेते हैं. 

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मंत्र - ॐ पिपीलिकाः कीटपतंगकाद्याः, बुभुक्षिताः कमर्निबन्धबद्धाः।। तेषां हि तृप्त्यथर्मिदं मयान्नं, तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु॥ इदं अन्नं पिपीलिकादिभ्यः इदं न मम।।

काक बलि - इस बलि में काक यानि कौआ को भोग अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि जब कौए अन्न ग्रहण करते हैं तो पितर भी प्रसन्न होते हैं. 

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मंत्र - ॐ ऐन्द्रवारुणवायव्या, याम्या वै नैऋर्तास्तथा ।। वायसाः प्रतिगृह्णन्तु, भुमौ पिण्डं मयोज्झतम् ।। इदं वायसेभ्यः इदं न मम ॥

कुक्कुर बलि - इस पपंचबली भोग में कुत्ते को भोग अर्पित किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार कुत्ते को यमराज के प्रतीक होते हैं. 

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मंत्र - ॐ द्वौ श्वानौ श्यामशबलौ, वैवस्वतकुलोद्भवौ ।। ताभ्यामन्नं प्रदास्यामि, स्यातामेतावहिंसकौ ॥इदं श्वभ्यां इदं न मम ॥

देव बलि - इस बलि में देवताओं को भोग अर्पित किया जाता है. देवता के निमित्त निकाले गए भोजन किसी कन्या या गाय को खिला दें.

मंत्र - ॐ देवाः मनुष्याः पशवो वयांसि, सिद्धाः सयक्षोरगदैत्यसंघाः।।प्रेताः पिशाचास्तरवः समस्ता, ये चान्नमिच्छन्ति मया प्रदत्तम्॥ इदं अन्नं देवादिभ्यः इदं न मम्।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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