सितंबर में कब रखे जाएंगे परिवर्तनी और इंदिरा एकादशी के व्रत, जानिए क्या है महत्व और कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा

सितंबर में पड़ने वाले दोनों एकादशी व्रत का नाम परिवर्तनी एकादशी और इंदिरा एकादशी है. आइए, जानते हैं कि इन दोनों एकादशी व्रत का महत्व और उसकी तिथि क्या है? साथ ही एकादशी पर कैसे पूजा करनी चाहिए.

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Ekadashi 2024 : एकादशी का व्रत रखने वालों के लिए इस साल सितंबर महीना बहुत खास है. क्योंकि इस महीने में एकादशी के दो महत्वपूर्ण व्रत रखे जाएंगे. हालांकि, साल के हर महीने में दो बार एकादशी की तिथियां आती हैं, लेकिन खास नाम वाले एकादशी का अलग ही महत्व होता है. सितंबर में पड़ने वाले दोनों एकादशी व्रत का नाम परिवर्तनी एकादशी और इंदिरा एकादशी है. आइए, जानते हैं कि इन दोनों एकादशी व्रत का महत्व और उसकी तिथि क्या है? साथ ही एकादशी पर कैसे पूजा करनी चाहिए.

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भगवान विष्णु को समर्पित होता है एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat is dedicated to Lord Vishnu)

सनातन हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी तिथि को व्रत रखकर पूजा-पाठ, दान-पुण्य और भजन-कीर्तन करते हैं. शास्त्रों के मुताबिक, एकादशी का व्रत रखकर पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इससे जीवन की समस्याएं और बाधाएं खत्म होती है और सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. इसलिए खासकर वैष्णव परंपरा के भक्त सालभर के सभी 24 एकादशी को नियम पूर्वक व्रत रखते हैं. वहीं, कुछ श्रद्धालु कुछ खास एकादशी पर व्रत रखते हैं.

सितंबर 2024 में एकादशी की तिथियां (Ekadashi Vrat in September 2024)

सितंबर महीने में होने वाली परिवर्तिनी एकादशी और इंदिरा एकादशी के बीच 15 दिनों का अंतर है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी और आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, शनिवार (14 सितंबर 2024) को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. अगले दिन 15 सितंबर को पारण के साथ व्रत खोला जाएगा. वहीं, 28 सितंबर 2024 (शनिवार) को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 29 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा.


परिवर्तिनी एकादशी व्रत पर शुभ योग और उसका महत्व (Parivartini Ekadashi 2024 Vrat Shubh Yog and Importance)

इस बार परिवर्तिनी एकादशी पर शोभन योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है. माना जाता है कि इन मुहूर्तों में व्रत और पूजा करने का शुभ फल कई गुणा अधिक हो जाता है. परिवर्तिनी एकादशी को पार्श्व, पद्मा, डोल ग्यास या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है. चातुर्मास के दौरान योगनिद्रा में लीन भगवान विष्णु इस दिन करवट लेते हैं. परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने वालों को वाजपेय यज्ञ के बराबर फल मिलने की बात कही गई है. साथ ही व्रत रखने वालों के सभी पापों का भी नाश हो जाता है, ऐसा माना जाता है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विशेष महत्व है.

इंदिरा एकादशी पर व्रत के शुभ योग और विशेष महत्व (Indira Ekadashi 2024 Vrat Shubh Yog and Importance)

आश्विन कृष्ण पक्ष यानी पितृपक्ष में पड़ने वाले इंदिरा एकादशी व्रत को पितरों यानी पूर्वजों का उद्धार करने वाला कहा गया है. माना जाता है कि वंश में किसी के भी इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितृ अधोगति और यमलोक से मुक्ति पाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं. इसके अलावा इंदिरा एकादशी व्रत को रखने वाला भक्त भी मृत्यु के बाद स्वर्ग मे जाने का अधिकारी हो जाता है, ऐसी मान्यता है. इस बार इंदिरा एकादशी पर सिद्ध योग के साथ ही शिववास भी रहेगा. मान्यता है कि इन शुभ मुहूर्तों पर भगवान विष्णु की पूजा करने का फल भी करोड़ों गुना होकर मिलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



 

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