Panchak: पंचक आज से शुरू, अगले 5 दिन ना करें ये काम; माना जाता है बेहद अशुभ

Panchak: किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले पंचक काल (Panchak Kaal) जरूर देखा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही है.

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वैशाख महीने का पंचक 25 अप्रैल यानी आज से शुरु हो रहे हैं.

Panchak: पंचक काल (Panchak) का हिंदू धर्म और ज्योतिष (Astrology) में बेहद खास महत्व है. किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले पंचक काल (Panchak Kaal) जरूर देखा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही है. पंचक (Panchak) के 5 दिनों की अवधि में मांगलिक कार्यों को भी करना अच्छा नहीं माना जाता है. वैशाख  महीने का पंचक (vaishakh month PanchaK 2022) 25 अप्रैल यानी आज से शुरु हो रहे हैं जो 29 अप्रैल तक चलेंगे. 25 अप्रैल, सोमवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहा जा रहा है. इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

पंचक क्या होता है?


ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में और शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में भ्रमण करता है तो उस अवधि को पंचक कहा जाता है. पंचक की अवधि पांच दिनों की होती है. इसके अलावा जब चंद्रमा कुंभ या मीन राशि में रहता है तो उस अवधि को भी पंचक के रूप में जाना जाता है. 

पंचक के दौरान क्या ना करें


मान्यता है कि पंचक के दौरान लकड़ी से जुड़े कोई भी कार्य नहीं करने चाहिए. इस अवधि में मकान के छत की ढलाई करना भी निषेध माना गया है, क्योंकि ऐसा करने से घर मे रहने वालों के बीच आपसी मनमुटाव बढ़ने लगता है. पंचक की अवधि में बेड या चारपाई भी नहीं बनवाना चाहिए. इसके अलावा पंचक के दौरान दक्षिण दिशी की यात्रा करने से बचना चाहिए. इतना ही नहीं, पंचक के दौरान शव जलाने की भी मनाही है. 

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राज पंचक माना जा रहा है शुभ 


वैशाख मास का पंचक सोमवार से शुरू हो रहा है. सोमावार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहते हैं. इस पंचक को ज्योतिष में शुभ माना गया है. ऐसे में इस पंचक की अवधि में शुभ-मंगल कार्य किए जा सकते हैं. 

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पंचक के प्रकार (Types of Panchak)


ज्योतिष के मुताबिक सप्ताह के सात दिनों के आधार पर पंचक के नाम दिए गए हैं. सोमवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहा जाता है. मंगलवार से पड़ने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है. बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक को पंचक ही कहते हैं. शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है. शनिवार के दिन पड़ने वाले पंचक को मृत्यु पंचक और रविवार के दिन पड़ने वाले पंचक को रोग पंचक का नाम दिया गया है.  

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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